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रेलवे ने अकेले सफ़र करने वाली महिलाओं की सुरक्षा के लिए ‘मेरी सहेली’ अभियान शुरू किया –

दिल्ली:- इस अभियान के तहत, रेल सुरक्षा बल (RPF) की महिला टीमें ट्रेन में अकेले सफ़र करने वाली महिलाओं पर नज़र रखती हैं. इस अभियान के कुछ फ़ायदे ये रहे।इस अभियान के तहत, महिला यात्रियों को सुरक्षा दी जाती है.
इस अभियान के तहत, रेल सुरक्षा बल (RPF) की महिला टीमें ट्रेन में अकेले सफ़र करने वाली महिलाओं पर नज़र रखती हैं.अकेली सफर कर रही रेलवे महिलाओं को सफर के दौरान अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचने की सारी जिम्मेदारी रेलवे की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मेरी सहेली योजना के तहत अकेली महिला यात्रियों की यात्रा की पूरी जानकारी एकत्र की जाती है। इसमें ट्रेन के शुरुआती से स्टेशन से लेकर आखिरी स्टेशन तक शामिल रहता है। मेरी सहेली टीम अकेले सफर कर रही महिलाओं के संपर्क में रहती है। एक टीम दूसरी टीम को यह जानकारी पहुंचा दी जाती है। जिससे स्टेशन में ट्रेन के आगमन होते ही मेरी सहेली की टीम ट्रेनों में जाकर महिला यात्रियों से संपर्क कर बात करती है। इसके साथ ही उनकी परेशानियों को दूर करने की भी कोशिश करती है। अकेली यात्रा कर रही महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करें, इसलिए यह व्यवस्था शुरू की गई है।
इस अभियान के तहत, महिला यात्रियों को सुरक्षा दी जाती है.महिला यात्रियों को किसी भी तरह की परेशानी होने पर हेल्पलाइन नंबर 182 पर कॉल करने के लिए कहा जाता है.अगर किसी महिला यात्री को घर जाने में दिक्कत होती है, तो महिला कांस्टेबल उसे घर तक पहुंचाती है.इस अभियान के तहत, महिला यात्रियों से संपर्क किया जाता है और उनसे पूछा जाता है कि उन्हें सफ़र में कोई दिक्कत तो नहीं हो रही है.इस अभियान के तहत, हर स्टेशन पर ‘मेरी सहेली’ की टीम मौजूद होती है. एक टीम दूसरी टीम को महिला यात्री की जानकारी देती है.इस अभियान के तहत, ट्रेन के शुरुआती स्टेशन से ही अगले नामित स्टेशनों तक महिला यात्रियों की पूरी जानकारी दी जाती है.
मेरी सहेली अभियान –
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) की ओर से चलाए जाने वाले इस अभियान के तहत, अकेले सफ़र करने वाली महिलाओं की सुरक्षा के लिए आरपीएफ़ की महिला टीम ट्रेन में साथ रहती है. यह टीम, महिला यात्रियों से संपर्क करती है और उन्हें जागरूक करती है. इस अभियान के तहत, महिला यात्रियों से पूछा जाता है कि उन्हें सफ़र में कोई परेशानी तो नहीं हो रही, और उनके साथ कोई बत्तमीजी तो नहीं हुई. अगर किसी महिला यात्री को कोई परेशानी होती है, तो आरपीएफ़ की टीम उसे दूर करने की कोशिश करती है. अगर महिला यात्री को घर जाने में दिक्कत होती है, तो महिला कांस्टेबल उसे घर तक पहुंचाती है।
महिलाओं के लिए कोच लंबी दूरी की मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के स्लीपर क्लास में महिलाओं के लिए छह बर्थ आरक्षित हैं. इसके अलावा, गरीब रथ/राजधानी/दुरंतो/पूरी तरह से वातानुकूलित एक्सप्रेस ट्रेनों के थर्ड-टियर एसी (3AC) कोचों में भी छह बर्थ महिला यात्रियों के लिए आरक्षित हैं.
कानूनी प्रावधान –
भारतीय रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 139 के मुताबिक, अकेली महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए कई कानून बनाए गए हैं. इनमें से एक कानून के मुताबिक, ट्रेन में रिजर्वेशन नहीं होने पर या बिना टिकट यात्रा करने पर महिलाओं को ट्रेन से TTE नहीं उतार सकता.
हेल्पलाइन नंबर पर करें कॉल –
रेलवे के मुताबिक, मेरी सहेली टीम महिलाओं के हर तरह के हालात से निपटने के टिप्स और ट्रिक्स भी मुहैया कारती हैं। अगर ट्रेन में महिला यात्री को किसी भी तरह की परेशानी होती है, तो वो रेल सुरक्षा बल के हेल्पलाइन नंबर 182 पर फोन करके जानकारी दे सकती हैं। इससे महिला की सुरक्षा के लिए आरपीएफ टीम हाजिर हो जाएगी।