लखनऊ

राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद के नेतृत्व में निकाली गई लखनऊ में पदयात्रा –

लखनऊ:–  रविवार को निषाद पार्टी सुप्रीमो, कैबिनेट मंत्री डॉ संजय कुमार निषाद ने निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल “निषाद पार्टी” द्वारा आयोजित मछुआ सुप्रीम कोर्ट संवैधानिक आरक्षण महाजनसंपर्क अभियान की शुरुआत की, निषाद के नेतृत्व में उनके सरकारी आवास एक विक्रमादित्य मार्ग से लेकर 1090 चौराहा लखनऊ तक पदयात्रा निकालकर की गई। निषाद ने पदयात्रा के दौरान कहा कि मछुआ आरक्षण उत्तर प्रदेश की सभी प्रमुख पार्टियों का एजेंडा रहा है, पूर्व की समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की सरकार ने मछुआ आरक्षण के मामले पर मछुआ समाज को गुमराह करने का काम किया है, उत्तर प्रदेश में जब बहुजन समाज पार्टी की सरकार आती है तो मछुआ समाज की सभी उपजातियों को एससी से निकालकर पिछड़ी में डाल दिया जाता है और जब समाजवादी पार्टी की सरकार आती है तो पिछड़ी से निकालकर अनुसूचित में डाल दिया जाता है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड राज्य की तर्ज पर शिल्पकार जाती नहीं जातियों का समूह है का सरकार द्वारा नोटिफिकेशन उत्तर प्रदेश राज्य में भी मझवार जाति नहीं जातियों का समूह है नोटिफिकेशन जारी किया जाना था किंतु पूर्व की समाजवादी पार्टी की सरकार ने मछुआ समाज की सभी उपजातियां को पिछड़ी जाति में बताकर अनुसूचित में डालने का काम किया, जिससे आरक्षण का मुद्दा और उलझ गया है।

निषाद जी ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जब माननीय गोरखपुर से सांसद हुआ करते थे उन्होंने सड़क से लेकर सदन तक मछुआ आरक्षण के मुद्दे को गंभीरता से उठाया है मछुआ समाज माननीय मुख्यमंत्री जी से काफी अपेक्षाकृत है कि मछुआ आरक्षण का मुद्दा अन्य विशेष मुद्दों की तरह जल्द हल किया जाएगा।
निषाद जी ने बताया कि आजादी से पूर्व और आजादी के बाद भी साल 1931 1941 1951 1961 1971 1981 और 1991 तक उत्तर प्रदेश राज्य में मछुआ समाज की सभी उपजातियां की गिनती मझवार और तुरैहा में कराई जाती रही है, किंतु पूर्व की सरकारों ने मछुआ समाज के दोहन के लिए बिना संसद में संशोधन के बिना छुआ समाज की सभी उपजातियो को अनुसूचित से निकलकर पिछड़े में डाल दिया और पूर्व की सरकारों द्वारा इस मुद्दे पर केवल वोट बैंक को राजनीति की गई है।

निषाद जी ने बताया कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री जी ने RGI “रजिस्ट्रार जनरल ऑफ़ इंडिया” को मछुआ आरक्षण के संबंध में पत्र लिखकर जानकारी मांगी गई थी, RGI ने पत्र के उत्तर में कहा है कि उत्तर प्रदेश राज्य में केवट, मल्लाह, बिंद समेत 17 जातियां मछुआ समाज की उपजातियां है।

 

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