
✍️अजीत उपाध्याय
वाराणसी:-
रामनगर रामलीला के सत्रहवे जटायु अंत्येष्टि, सबरी मिलन,सुग्रीव , हनुमान मिलन दिन का प्रसंग –
हे खग मृग हे मधुकर श्रेनी। तुम्ह देखी सीता मृगनैनी।
जय राम रूप अनूप निर्गुण सगुण गुन प्रेरक सही।
आज की कथा में भगवान राम,माता जानकी की खोज में पशु पक्षियों, पेड़ पौधों ,पर्वत ,नदी सबसे पूछते हैं क्या तुमने मेरी सीता को देखा है तभी उनको घायल जटायु जलखन
jखते हैं ।वो सारा वृतांत सुनाते हैं राम जी उनको कहते हैं जब आप सुरपुर में जाइएगा तो पिता जी से सीता हरण की बात मत कहिएगा रावण स्वयं ही जाकर कहेगा।उसके बाद राम जी जटायु का अंत्येष्टि करते हैं और जटायु जी अपने दिव्य रूप में आकर श्रीराम जी की वंदना करते है तत्पश्चात कबंध का उद्धार करते हुवे सबरी के आश्रम जाते है, सबरी जी भगवान को देखकर भावविभोर हो जाती हैं और उनको अपने झूठे बेर खिलाती है , भगवन प्रसन्न मन से खाते है और उनको नवधा भक्ति का ज्ञान प्रदान करते है तत्पश्चात् वो पंपासर आते है जहां नारद जी भगवान को अपना ही दिया श्राप स्मृत करते हुए भगवान को वन में फिरते देख दुखी होते है और प्रभु श्री राम से मिलने के लिए आते है।वो पूछते है जब मैं विवाह करना चाहता था तो आपने क्यों नही करने दिया। तब भगवान कहते है मैं सच्चे भक्तो की रक्षा मां जैसा करता हूं। उस समय आप माया और काम के बस में हो गए थे तभी मैंने मां के जैसी आपकी रक्षा की है और कुछ कठोर कृपा मैने आपके साथ की। नारद जी भक्ति ,संत और असंत के भेद के बारे में सुनते हैं। दोनों के बीच ज्ञान कि धारा बहती है। रिश्यमुक पर्वत की तरफ जाते है तभी सुग्रीव उनको बाली के भेजा दूत समझकर हनुमान जी को उनका भेद लेने को भेजते है।
तत्पश्चात हनुमानजी साधु का वेष लेकर प्रभु पदकमलों को पहचानकर दोनों भाई को कंधे पर बैठाकर आकाश मार्ग से सुग्रीव के पास ले जाते है।सुग्रीव प्रभु को देखकर भावविभोर होकर अपना और बाली के बीच हुवे मतभेद का सारा दुख़ सुनाते हैं ।प्रभु उनको अभय करते हैं और मित्र धर्म का ज्ञान देते हुए बाली का वध करने का निर्णय लेते है ।तब हम जैसे अधम जीवो का नेतृत्व करने वाले सुग्रीव जी भगवन पर संदेह करते हुए कहते है जो एक बाण से ताड़ के सातों वृक्ष को धाराशाही कर सकता हैं वही बाली को मार सकता है, प्रभु मुस्कराते हुए एक बाण से ही सातों ताड़ के पेड़ को गिरा देते है, सभी भगवन की जय जयकार करते हैं। यही कथा का विश्राम होता हैं,आज की आरती में सभी वानर समूह भगवन के पीछे होते है और आरती सुग्रीव जी करते है,यह आरती देखकर सभी लीलाप्रेमी भावविभोर हो जाते है।