दिल्ली

मोदी सरकार का बड़ा दांव;लोकसभा चुनाव की तारीखों पहले केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का नोटिफिकेशन जारी किया – 

 

गृह मंत्रालय ने CAA को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया।

गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिल सकेगी।

अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को लाभ होगा।

देशभर में सीएए को लागू किया गया।

हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध को नागरिकता मिलेगी।

पाकिस्तान, बांग्लादेश के शरणार्थियों को लाभ होगा।।

 

दिल्ली:– आखिर ये सीएए क्या है – 

CAA नागरिकता संशोधन कानून 2019, तीन पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश) के उन अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का रास्ता खोलता है, जिन्होंने लंबे समय से भारत में शरण ली हुई है। इस कानून में किसी भी भारतीय, चाहे वह किसी मजहब का हो, की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है। भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से कोई खतरा नहीं है।

CAA को भारतीय संसद में 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था, जिसमें 125 वोट इसके पक्ष में पड़े थे और 105 वोट इसके खिलाफ थे। राष्ट्रपति द्वारा इस विधेयक को 12 दिसंबर को मंजूरी भी दे दी गई थी। 

 

CAA को भारतीय संसद में 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था, जिसमें 125 वोट इसके पक्ष में पड़े थे और 105 वोट इसके खिलाफ थे। राष्ट्रपति द्वारा इस विधेयक को 12 दिसंबर को मंजूरी भी दे दी गई थी। 

नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA का फुल फॉर्म Citizenship Amendment Act है। ये संसद में पास होने से पहले CAB यानी (Citizenship Amendment Bill) था। राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद ये बिल नागरिक संशोधन कानून (CAA, Citizenship Amendment Act) यानी एक्ट बन गया है।

नागरिक (संशोधन) कानून में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से विशिष्ट धार्मिक समुदायों (हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी) को अवैध अप्रवासियों के लिए भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। इस पर कुछ आलोचकों का कहना है कि ये प्रावधान भेदभावपूर्ण है, क्योंकि इसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है। जिसके कारण ये विवादों में घिरा हुआ है।

CAA में अब तक मुस्लिमों को क्यों नहीं जोड़ा गया?

गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर संसद में बताया था कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश मुस्लिम देश हैं। वहां धर्म के नाम पर बहुसंख्यक मुस्लिमों का उत्पीड़न नहीं होता है, जबकि इन देशों में हिंदुओं समेत अन्य समुदाय के लोगों को धर्म के आधार पर प्रताड़ित किया जाता है। इसलिए इन देशों के मुस्लिमों को नागरिकता कानून में शामिल नहीं किया गया है। हांलाकि, इसके बाद भी वह नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिस पर सरकार विचार कर फैसला लेगी।

 

किसे मिल सकेगी नागरिकता?

CAA लागू होने के बाद नागरिकता देने का अधिकार पूरी तरह से केंद्र सरकार के पास होगा। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म से जुड़े शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी। बता दें कि जो लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आकर बस गए थे, उन्हें ही नागरिकता मिलेगी। इस कानून के तहत उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है, जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज (पासपोर्ट और वीजा) के बगैर घुस आए हैं या फिर वैध दस्तावेज के साथ तो भारत में आए हैं, लेकिन तय अवधि से ज्यादा समय तक यहां रुक गए हों।

 

नागरिकता पाने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन ही रखी गई है। जिसे लेकर एक ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया जा चुका है। नागरिकता पाने के लिए आवेदकों को अपना वह साल बताना होगा जब उन्होंने बिना किसी दस्तावेज के भारत में प्रवेश किया था। आवेदक से किसी तरह का कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। नागरिकता से जुड़े जितने भी मामले लंबित उन सबको ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया जाएगा। पात्र विस्थापितों को सिर्फ ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर अपना आवेदन करना होगा। जिसके बाद गृह मंत्रालय आवेदन की जांच करेगा और आवेदक को नागरिकता जारी कर दी जाएगी। 

 

विधेयक तीन देशों के इन धर्मों से संबंधित अवैध प्रवासियों के लिए नागरिकता पर दो अतिरिक्त प्रावधान जोड़ता है।

 

नागरिकता प्राप्त करने के परिणाम: विधेयक कहता है कि नागरिकता प्राप्त करने पर:

 

(i) ऐसे व्यक्तियों को भारत में उनके प्रवेश की तारीख से भारत का नागरिक माना जाएगा

 

(ii) उनके अवैध प्रवास के संबंध में उनके खिलाफ सभी कानूनी कार्यवाही की जाएगी। या नागरिकता बंद हो जायेगी।

 

एक्सेप्शन : इसके अलावा, विधेयक में कहा गया है कि अवैध प्रवासियों के लिए नागरिकता के प्रावधान असम, मेघालय, मिजोरम या त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होंगे, जैसा कि संविधान की छठी अनुसूची में शामिल है। इन जनजातीय क्षेत्रों में कार्बी आंगलोंग (असम में), गारो हिल्स (मेघालय में), चकमा जिला (मिजोरम में), और त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र जिला शामिल हैं। यह बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत इनर लाइन के तहत आने वाले क्षेत्रों पर भी लागू नहीं होगा। इनर लाइन परमिट भारतीयों की अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड की यात्रा को नियंत्रित करता है।

 

यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर एक बार फिर से चर्चाएं तेज हो गई हैं। सरकार ने इसे लागू करने के संकेत दे दिए हैं जिसके बाद से ही UCC को लेकर लोगों के बीच चर्चा हो रही है।

 

बता दें कि UCC में देश में सभी धर्मों, समुदायों के लिए एक सामान, एक बराबर कानून बनाने की बात की गई है। आसान भाषा में समझें तो इस कानून का मतलब है कि देश में सभी धर्मों, समुदाओं के लिए कानून एक समान हो जाएगा। मजहब और धर्म के आधार पर मौजूदा अलग-अलग कानून निष्प्रभावी हो जाएंगे। बता दें कि UCC के लागू होने के बाद कई बदलाव आएंगे।

 

जैसे- विवाह, तलाक, गोद लेने और संपत्ति में सभी के लिए एक नियम होगा। परिवार के सदस्यों के आपसी संबंध और अधिकारों में समानता होगी। जाति, धर्म या परंपरा के आधार पर नियमों में कोई रियायत नहींल दी जाएगी। किसी भी धर्म विशेष के लिए अलग से कोई नियम नहीं होगा।

 

NRC से जोड़ा गया कानून विरोध के दौरान CAA कानून को NRC कानून से जोड़कर देखा जा रहा था, कहा जा रहा था कि अगर एक मुसलमान NRC के दौरान अपनी नागरिकता से जुड़े दस्तावेज दिखाने में विफल होता है तो उसे काफी दिक्कतें हो सकती है. साल 2019 में बढ़ते विवाद के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में कहा था कि सीएए को एनसीआर से जोड़कर न देखा जाए किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं जाएगी.

बता दें कि हाल-फिलहाल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस बात को स्पष्ट रूप से कह रहे थे कि चुनाव से पहले ही सीएए का नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा. एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा था कि सीएए देश का कानून है और निश्चित तौर पर लागू किया जाएगा. इसी क्रम में अब केंद्र ने सीएए को लागू करने का नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page