
लखनऊ :- राजधानी लखनऊ में चार साल की बच्ची से स्कूल वैन में वाहन चालक ने दुष्कर्म किया था। स्कूल प्रबंधन मामले को दबा रहा है और पुलिस ने भी कार्रवाई के नाम पर आरोपी वैन चालक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। लेकिन शिक्षा विभाग नींद से नहीं जाग रहा या स्कूल का संरक्षक बन रहा है।
हैरानी की बात ये है कि स्कूल के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर जिला विद्यालय निरीक्षक और बेसिक शिक्षा अधिकारी एक दूसरे पर टालते हुए नज़र आ रहे हैं। किसी ने भी स्कूल जाना मुनासिब नहीं समझा। डीआईओएस राकेश कुमार ने शनिवार को कहा था कि वह सोमवार को जांच टीम स्कूल में भेजेंगे। सोमवार को जब उनसे बात करने की कोशिश की गई, तो पहले उन्होंने जांच की बात तो कही, लेकिन बाद में यह जिम्मेदारी बेसिक शिक्षा अधिकारी की बताकर अपना पलड़ा झाड़ दिया। डीआईओएस के मुताबिक प्री प्राइमरी स्कूल बेसिक शिक्षा विभाग के आधीन आते हैं। ऐसे में स्कूल पर कार्रवाई और जांच का अधिकार बीएसए का है।
वहीं बीएसए रामप्रवेश से जब इस बारे में पूछा गया तो कार्यवाही के बजाए कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग केवल कक्षा एक से पांच तक के विद्यालयों की मान्यता और संचालन का काम देखता है। प्री स्कूल हमारे परिक्षेत्र में नहीं आता। स्कूल वैन में दुष्कर्म जैसे संवेदनशील मामले में कार्रवाई के नाम पर दोनों अधिकारियों ने अपना अपना पलड़ा सफाई देते हुए झाड़ लिया, तो सवाल यह खड़ा होता है
• क्या शिक्षा विभाग बच्चों की सुरक्षा के बारे में जिम्मेदार नहीं है?
• स्कूल द्वारा ऐसे संवेदनशील मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारी जिम्मेदारी नहीं लेंगे?
• क्या स्कूल द्वारा मनमानी, लापरवाही और बच्चों पर हो रहे अत्याचार पर शिक्षा विभाग जिम्मेदारी नहीं लेगा?