✍️नवीन तिवारी
वाराणसी:- श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी के गोलोकवासी होने के बाद महंत आवास पर श्रीकृष्णजन्माष्टमी का पर्व सादगी से सोमवार को मनाया गया। इस अवसर पर परंपरागत रूप से होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थगित रहे किंतु हर का हरि स्वरूप में श्रृंगार करने की परंपरा का निर्वाह किया गया।
प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त में महादेव का षोडशोपचार पुजन के बाद हर का हरि के रूप में श्रृंगार किया गया। उनकी जटाजूट पर चंद्रमा के साथ ही मोरपंखी भी सजाई गई। हाथ में डमरू युक्त त्रिशूल के स्थान पर बांसुरी नजर आई। महादेव का श्रीकृष्ण स्वरूप में श्रृंगार करने के उपरांत उन्हें प्राचीन झूले पर विराजमान कराया गया। टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर सायंकाल पांच वैदिक ब्राह्मणों द्वारा विविध अनुष्ठान पूर्ण किए गए। भगवान के जन्म पर मंगल गीत गाने की परंपरा का निर्वाह करने के लिए सगुन के तौर पर परिवार की महिलाओं ने पांच मंगल गीत गाए। इसके बाद पं. वाचस्पति तिवारी ने झूले पर विराजमान महादेव की आरती उतारी। महंत आवास पर श्रीकृष्णजन्माष्टमी पर बाबा की चल प्रतिमा के हरि रूप में श्रृंगार करने की परंपरा विश्वनाथ मंदिर के स्थापना काल से ही चली आ रही है।
महंत परिवार के प्रतिनिधि पं. वाचस्पति तिवारी ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर प्रबंधन द्वारा भले ही लोक परंपरा का हनन करने की कुचेष्टा की जा रही हो लेकिन काशीवासियों का महंत आवास की परंपराओं से लगाव पूर्ववत बना हुआ है। उसी का परिणाम है कि सोमवार की शाम हर के हरि स्वरूप के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में काशीवासी महंत आवास पहुंचे। यह इस बात का प्रमाण है कि शासन-प्रशासन चाहे कोई भी कुचक्र रच ले लेकिन काशी की लोक परंपराएं पूर्ववत जारी रहेंगी।