वाराणसी
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मनुस्मृति का विरोध करने वालों को दिया खुला चैलेंज, कहा- चर्चा के लिए तैयार, एक भी पंक्ति गलत नहीं – जगद्गुरु रामभद्राचार्य

वाराणसी:- जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने सोमवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृति संकाय के सभागार में आयोजित व्याख्यान में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए मनुस्मृति का विरोध करने वालों को खुला चैलेंज दिया. उन्होंने कहा कि जिसने भी अपनी मां का शुद्ध दूध पिया हो वह आकर मुझसे चर्चा करे। मनुस्मृति का एक भी अध्याय एक भी पंक्ति गलत नहीं है. उन्होंने कहा कि मनुस्मृति का एक भी अक्षर राष्ट्र विरोधी नहीं है.उन्होंने कहा कि अन्याय के विरुद्ध चुप रहना सबसे बड़ा अन्याय होता है. वहीं उन्होंने अखिलेश यादव की तरफ से महाकुंभ को लेकर दिए जा रहे बयान पर कहा कि मैं अखिलेश यादव को लेकर कोई बात नहीं बोलना चाहता हूं, नहीं तो विवाद खड़ा हो जाएगा. वहीं ओवैसी के बयान पर उन्होंने कहा कि उसकी सरकार कभी बनेगी ही नहीं तो देखेंगे क्या।

जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि ,मैं काशी आने पर प्रसन्न हूं, क्योंकि यहीं पर मैंने पढ़ाई लिखाई की है. 11 वर्षों तक यहां पर रहकर मैं शिवदास व्याकरण पढ़ता था और सभी शास्त्रों पर यथासंभव अधिकार प्राप्त किया. काशी मेरी विद्या की जन्मभूमि है. उन्होंने कहा कि संस्कृत व्याकरण विश्व की सबसे वैज्ञानिक व्याकरण प्रणालियों में से एक है। जिसका प्रभाव आधुनिक भाषाओं की संरचना पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, संधि नियमों की गहराई हमें ध्वनियों के सामंजस्य और उच्चारण की शुद्धता को बोध कराती है।
उन्होंने छात्रों को सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और सुरक्षा करने के लिए जागरूक होने की बात कही. काशी के मुगल आक्रांताओं के द्वारा रखे नाम को बदलने की मांग पर उन्होंने कहा कि इस मांग पर मैं प्रसन्न हूं और मेरा संघर्ष तब तक चलता रहेगा जब तक ज्ञानवापी हमें वापस नहीं मिल जाता, सबका नाम बदलना पड़ेगा. इसके लिए मैं प्रधानमंत्री से बात करूंगा. उन्होंने कहा कि सनातन का स्वर्णिम युग है. आश्चर्य की बात यह है कि विपक्ष के लोग इसका विरोध कर रहे हैं. फिर भी 66 करोड़ 60 लाख लोगों ने कुंभ में स्नान किया, यह हमारे सनातन धर्म की शक्ति को बढ़ाने वाला है

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