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मतदान न करके राष्ट्र की सुरक्षा और सम्मान दोनों पर प्रहार है – दिव्य अग्रवाल

मतदान न करके राष्ट्र की सुरक्षा और सम्मान दोनों पर प्रहार है 

भारतीयों की स्मरण शक्ति बहुत कमजोर है इसमें कोई संदेह नहीं है । एक समय था जब बम धमाकों में परिवार अपनों को सदा सदा के लिए खो देते थे , सेना के जवानों के बलिदान का कोई बदला नहीं लेना चाहता था, धारा ३७० यह आभास कराती थी की भारत देश एक कमजोर देश है । आज जब इन समस्याओं का निवारण वर्तमान सरकार ने किया है तो भारतीय लोग मतदान करने तक के लिए अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे । भारत की प्रत्येक छोटी बड़ी जानकारी दुश्मनो के हाथ रहती थी पर अब जब भारत अपने दुश्मनो को उनके घर में घुसकर मारता है तब भी लोग मतदान नहीं कर रहे । प्रभु श्री राम का मंदिर अयोध्या में बनना उस कलंक को धोना है जो सैकड़ो वर्ष पहले विदेशी आक्रांताओं ने प्रत्येक भारतीय के मष्तक पर लगा दिया था तब भी लोग मतदान नहीं कर रहे। हो सकता है कुछ क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि से नाराजगी हो , हो सकता है क्षेत्रीय कार्यकर्ता मतदान कराने हेतु जागरूक न हो परन्तु इस्लामिक समाज पूरी ताकत के साथ मतदान कर रहा है उन्हें किसी जागरूकता की आवश्यकता नहीं है अब उनका मतदान वर्तमान सरकार के पक्ष में है विपक्ष में यह तो समय बताएगा लेकिन जो समाज आश्वस्त होकर मतदान करने के स्थान पर विश्राम कर रहा है निश्चित ही उस समाज को आत्मसम्मान की नहीं अपितु अपमानजनक जीवन जीने की आदत है । रही बात जातिगत वर्चस्व की तो जब राष्ट्र का नुकसान होता है तो वह सभी भारतीयों का होता है किसी विशेष जाति का नहीं ।

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