लखनऊ

बेखबर नगर निगम को पता ही नहीं, कि उनका पम्प हाउस तोड़ा जा रहा है –

अमित, संवादाता –

लखनऊ:–  लखनऊ के ठाकुरगंज क्षेत्र में उत्तर सरकार की परियोजना में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सड़क चौड़ाई को लेकर, परियोजना की जिम्मेदारी लखनऊ विकास प्राधिकरण को दिया गया है, जिस पर लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी खूब माल बटोरने में लगे हैं। परियोजना में सड़क चौड़ाई, कुड़िया घाट से लेकर आई एम रोड तक देखी जा सकती है। पर जब बात करते हैं गऊघाट चौकी से कुड़िया घाट आने वाले रास्ते की, तो घोटाला ही घोटाला नजर आ रहा है। इस सड़क के बीच में नगर निगम विभाग का सर कटा नाल पंप हाउस आता है। जो की बहुत ही पुराना पंप हाउस है लखनऊ का। 

    सड़क चौड़ाई के दौरान जबकि यह नगर निगम विभाग का सर कटा नाल पंप हाउस बीच में आ रहा है, जिससे कि पुराने लखनऊ का सीवर का पानी, फिल्टर होकर के गोमती नदी में छोड़ा जाता है और सड़क चौड़ाई की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार ने दी है एलडीए को, जिसके उपरान्त एलडीए अपने आगे नगर निगम को कुछ समझती ही नहीं, इसीलिए सड़क चौड़ाई के बीच उनके ठेकेदारों ने सर कटा नाला पम्प हाउस को तोड़कर रास्ता बनाना शुरू कर दिया।

    अब जब नगर निगम के अधिकारियों से पूछा गया, तो यह पता चला कि उन्हें पता ही नहीं था कि उनका पंप हाउस तोड़ा जा रहा है। यहां तक थोड़ा ही नहीं गया, बल्कि बिजली तक काट दी गई। यहां लगे मशीन बाढ़ संबंधित कार्रवाई में लाभदायक होते हैं, यदि सीवर के पानी की मात्रा बढ़ जाती है या बरसात का पानी नाले के द्वारा निकलता है, तो यह पंप हाउस उसे फिल्टर करके गोमती नदी में छोड़ देता है। जिससे आसपास स्थित सज्जादबाग एवं अन्य क्षेत्र गंदे पानी से डूबने से बच जाते हैं। पर एलडीए को कहां फर्क पड़ता है।

    इन जानकारियों के बावजूद कार्य चालू रहा। नगर निगम विभाग को ना तो सूचना दी और ना ही नगर निगम का कोई भी अधिकारी पंप हाउस झांकने। यहां तक पंप हाउस में उजाले के बजाए अंधेरा पड़ा है।

    जब अधिकारियों के संज्ञान में डाला गया, तब जाकर आंख खुल रही है, और नगर निगम के सर कटा नाल पंप हाउस पर, पहुंच कर देखा की पंप हाउस की टीन शेड हट चुके थे, बिजली गायब है और मौके पर एलडीए का कोई भी अधिकारी व कर्मचारी मौजूद नहीं था, बस मनमाने ढंग से छुटपुटिया ठेकेदार अपना काम चला रहे हैं। यही नहीं रात्रि में रोड की चौड़ाइकरण को लेकर खोदे जाने पर, निकली हुई मिट्टी का भी खनन अच्छी तरीके से हो रहा है या यू कहां जा सकता है जहां नजर डालें वहां घोटाला ही घोटाला। कुछ समय पूर्व पीडब्ल्यूडी के जेई इस संबंध में आकर अपनी प्रतिक्रिया रखे थे पर उनके बने हुए प्रोजेक्ट पर भी परिवर्तन देखा गया है।

    सूत्रों के मुताबिक एलडीए को पंप हाउस के ऊपर से एक फ्लावर बनाना था, जिससे यह पंप हाउस सुरक्षित रह सकता था। पर फ्लावर बनाने में आता है खर्चा। जिसे बचाने के लिए, उन्होंने इसको तोड़ना ही मुनासिब समझा। अब आप ही बताएं, जो पंप हाउस नाले के ऊपर बना है यदि अगर टूट कर उसे पर सड़क निकाल दी जाए, तो सड़क की बुनियाद मजबूत होगी या कमजोर। इन चीज़ों को अधिकारी समझना ही नहीं चाहते, जितनी बचत हो सकती है, उस से भी ज्यादा बचत करना चाहते हैं। आपको बता दे यह सर कटा नाल पंप हाउस बहुत ही पुराना है और लखनऊ के कई क्षेत्रों का गंदा पानी यहां से निकाला जाता है। यदि उत्तर प्रदेश सरकार के एलडीए और हो सकता है नगर निगम विभाग अपने जब गर्म करने के लिए, लोगों की जान से खिलवाड़ करना चाह रहे हैं, तो इसमें जिम्मेदार कौन होगा। यह सवाल तब उठता है जब इसे तोड़कर सड़क बना दी जाए और आने वाले भविष्य में यदि कोई एक बड़ा हादसा हो जाता है तो सरकार किसको जिम्मेदार ठहराएगी?। मौजूदा हालात में इन सवालों को लेकर, नगर निगम के संबंधित अधिकारियों से पूछा, तो पहले तो जवाब बड़ा दिलचस्प था कि उन्हें मालूम ही नहीं, कि पम्प हाउस टूट रहा है। जब पता चला तो मौके पर आने के लिए उनके पास समय नहीं है। यहां तक अपन नगर आयुक्त से लेकर बाढ़ नियंत्रण अभियंता तक पूछा गया, तो, इस पर सवाल उठने के बजाए और समाधान निकालने के बजाए, संतावना दे कर चल दिए।

    करीब 2-3 दिनों से यह पंप हाउस अंधेरे में पड़ा है। इसके अतिरिक्त बिजली न होने के कारण मशीन चल भी नहीं सकती यदि अगर पानी बरसता है या गंदा पानी ज्यादा मात्रा में आ जाता है, तो मशीन ना चलने के उपरांत सज्जाद बाग एवं आसपास के क्षेत्र डूब भी सकते हैं। पर क्या कहा जाए उत्तर प्रदेश के एलडीए विभाग कमाने में लगा है और उत्तर प्रदेश सरकार के नगर निगम विभाग लखनऊ को पता नहीं है।

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