
लखनऊ:- यूपी की राजधानी का चारबाग इलाका यात्रियों के लिए लगातार मुश्किलें खड़ी कर रहा है। यहां ट्रेवल एजेंसियों और दलालों का संगठित गिरोह भोले-भाले लोगों को ठगने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। ताजा मामला एक महिला और उसके बेटे का है, जिन्हें बैंगलोर की बस टिकट के नाम पर 12,200 रुपये का चूना लगा दिया गया। बस बैंगलोर जाने के बजाय उन्हें इंदौर में ही उतारकर आगे बढ़ गई। जब महिला ने विरोध किया और पुलिस में शिकायत करने की धमकी दी, तो एजेंसी ने महज 3,000 रुपये लौटाए, बाकी रकम हड़प ली गई।
शनिवार को बाहर से लखनऊ आई इस महिला को बैंगलोर जाने के लिए चारबाग में एक निजी ट्रेवल एजेंसी से टिकट खरीदनी पड़ी। “टूर ट्रेवल्स” नामक एजेंसी के संचालक रवि जायसवाल, जो अक्सर अपनी कंपनी का नाम बदलते रहते हैं, ने महिला को बैंगलोर तक की स्लीपर बस टिकट थमाई। लेकिन जब महिला और उसका बेटा इंदौर पहुंचे, तो बस ड्राइवर ने उन्हें उतार दिया। जब उन्होंने कारण पूछा, तो बताया गया कि उनकी टिकट सिर्फ इंदौर तक की थी। यह सुनते ही महिला हैरान रह गई।
आशंका होने पर जब महिला ने एजेंसी द्वारा दिए गए नंबर 8400081912 पर कॉल किया और पुलिस में शिकायत की धमकी दी, तब जाकर एजेंसी ने केवल 3,000 रुपये लौटाए। इस धोखाधड़ी से आहत महिला ने दोबारा किसी प्राइवेट बस से सफर करने के बजाय फ्लाइट से बैंगलोर जाने का फैसला किया।
चारबाग का बस स्टैंड और इसके आसपास का इलाका धीरे-धीरे ठगों के गढ़ में बदलता जा रहा है। यहां रेलवे स्टेशन, छितवापुर चौकी और बस अड्डे के पास फर्जी ट्रेवल एजेंसियां और दलाल सक्रिय हैं, जो बाहर से आने वाले यात्रियों को अपने जाल में फंसाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं। पहले, ई-रिक्शा और ऑटो चालक यात्रियों को बहला-फुसलाकर इन एजेंसियों तक पहुंचाते हैं, जहां उनसे मनमाने पैसे लेकर फर्जी टिकट दे दिए जाते हैं। इसके बाद यात्री किसी भी अनजान बस में ठूंस दिए जाते हैं, जिनका गंतव्य निश्चित नहीं होता।
ट्रेवल एजेंसियां यात्रियों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनसे ऊंची कीमत वसूलती हैं। कई बार यात्रियों को बीच रास्ते में उतार दिया जाता है और बस संचालक यह दावा करते हैं कि उनकी टिकट बस उतनी ही दूरी के लिए थी। इन मामलों की बढ़ती संख्या के बावजूद पुलिस और प्रशासन कोई ठोस कार्रवाई करने में विफल नजर आ रहे हैं। चारबाग के नकथा चौकी के पास रोजाना फर्जी ट्रेवल एजेंसियों और निजी वाहनों की भीड़ देखी जा सकती है, लेकिन अधिकारियों की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।
यात्रियों को इस तरह की ठगी से बचने के लिए कुछ एहतियात बरतने की जरूरत है। हमेशा सरकारी बस स्टैंड या अधिकृत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से ही टिकट खरीदनी चाहिए। अनजान ट्रेवल एजेंसी के झांसे में आने से पहले उनकी प्रमाणिकता की जांच करनी जरूरी है। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत पुलिस में शिकायत करें और लोकल ऑटो या ई-रिक्शा चालकों द्वारा सुझाए गए ट्रेवल एजेंसियों से बचें।
अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर कब तक लखनऊ की छवि को इस तरह ठगों द्वारा धूमिल किया जाएगा? कब तक बाहर से आने वाले यात्री इस ठगी का शिकार होते रहेंगे? क्या प्रशासन इस ओर ध्यान देगा या फिर यह ठगी का खेल यूं ही चलता रहेगा? जब तक सख्त कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक चारबाग यात्रियों की मुश्किलों का केंद्र बना रहेगा।