वाराणसी
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प्रशासन की धोखेबजी काशी की परंपरा के साथ खिलवाड –

 

 

रंगभरी एकादशी पर महंत आवास से परंपरागत हाल की यात्रा के समय में अचानक परिवर्तन और पालकी के ढके होने का कारण स्पष्ट किया गया –

मंदिर प्रशासन जवाब दे किसके कहने पर दूसरी प्रतिमा लाई गई गर्भगृह में –

✍️नवीन तिवारी

वाराणसी:- रंगभरी एकादशी पर महंत आवास टेढ़ीनीम से हर वर्ष माँ गौरा के गौना की पालकी शोभा मात्रा निकाली जाती है जो विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में अतिप्राचीन रजत सिंहासन पर विराजमान कराकर बाबा की सप्तऋषि आरती की जाती है।

इस बार भी हर वर्ष की तरह रंगभरी एकादशी पर माता गौरा के गौना के परंपरागत लोकाचार महंत आवास पर 7 मार्च से प्रारंभ हो गया था। 10 मार्च रंगभरी एकादशी पर निकलने वाली गौना पालकी की सूचना एवं निमंत्रण पत्र 3 मार्च को ही मंदिर प्रशासन सहित सभी संबंधित सभी विभागों काशी के सभी विशिष्ट नागरिकों एवं जनजनप्रतिनिधियों के दे दी गई थी। गौना के लोकाचार के दौरान अचानक प्रशासन द्वारा महंत आवास में परंपरागत आयोजन और पालकी यात्रा को रोकने के लिए ’168बी’ की नोटिस दे दी गई। नोटिस में गोलोकवासी महंत डॉ कुलपति के निधन के बाद परंपरा को नहीं करने का आदेश देते हुए पालकी शामिल होने वाले बाबा के भक्तों की अराजकवादी और व्यक्ति विशेष का समर्थक कहा गया।

 

इस विषय पर काशी के सभी जनप्रतिनिधियों, मंदिर प्रशासन, मण्डल और जिले के संबंधित विभाग के अधिकारीयों के साथ बैठक हुई। लेकिन बैठक में काशीवासीयों द्वारा संकल्पित परंपरागत पालकी यात्रा पर बात नहीं बनी। गत रविवार को महंत आवास पर सायंकाल महादेव के ससुराल आगमन के लोकाचार में शामिल बाबा के भक्त काशीवासियों की मौजूदगी के बाद देर रात मंदिर प्रशासन ने अपने कार्यालय में बुलाकर अनैतिक दबाव बनाया। कहा , डॉ कुलपति जी के साथ परंपराओं का भी अंत हो गया है नहीं मानोगे तो प्रतिमा को सीज कर तुम्हें घर से निकलने नहीं ही दिया जाएगा। साथ ही सकरी गलीयों में अपार जनसमूह के इकट्ठा होने के कारण कोई घटना होगी तो उसके जिम्मेदार आप और काशीवासी बाबा के भक्त होंगे। मंदिर प्रशासन ने कहा आपको मंदिर प्रशासन मंदिर परिसर में जगह उपलब्ध कराएगा जहां से आप काशीवासियों सहित अपने समय पर सभी लोकाचार को पूरा करेंगे। उन्हें बताया गया कि महंत आवास में गौना के लोकाचार के बाद पालकी को सिर्फ गर्भगृह में ही परंपरागत पालकी पर विराजमान कराकर आरती की जाती है। इस पर मंदिर प्रशासन ने दबाव बनाया की प्रतिमा आप मंदिर लाकर ही लोकाचार पूरा करके समय से काशीवासियों को दर्शन पूजन करायें। वही से पालकी गर्भगृह में स्थापित करने पर सहमती बनी।

 

प्रतिमा ढकने की मजबूरी –

विदाई लीकाचार के बाद प्रतिमा की गर्भगृह के अलावा और कहीं नहीं रखा जा सकता इसलिए प्रतिमा ढक कर ले जाई गई। मंदिर में प्रशासन ने परंपरागत प्रतिमा तक काशीवासियों को नही आने दिया। शंकराचार्य चौक पर मन्दिर प्रशासन ने परंपरागत प्रतिमा रखने का भ्रम फैलाया। मंदिर पहुँचने पर महादेव की पालकी की जमीन पर रख कर धार्मिक आस्था पर किया गया प्रहार। काशीवासियों और काशी की परंपरा के साथ हुए इस छल का पूरा-पूरा दायित्व काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन और पुलिस का है। मन्दिर प्रशासन बताये किसके कहने पर दुसरी प्रतिमा गर्भगृह में लाई गई। मंदिर प्रशासन ने यह भरोसा दिलाया था की महंत आवास से पालकी लाकर उसी जगह रखा जायेगा जहाँ से काशीवासी उसी तरह बाबा का दर्शन कर सके जैसे महंत आवास में करते है।

 

महंत आवास से प्रतिमा को मंदिर लाकर रख तो दिया गया लेकिन मंदिर की ओर दुसरी प्रतिमा को गर्भगृह में भेजा गया। जब पालकी उठाकर गर्भगृह तक जाने की बारी आई तो मंदिर के अधिकारियों ने महंत आवास से गई प्रतिमा को अनदेखा कर दिया और षड्यंत्र के तहत सुरक्षा कर्मियों की भीड़ में पालकी को गर्भगृह की तरफ जाने की बारी आई तो मंदीर के अधिकारियों ने महंत आवास से गई प्रतिमा को अनदेखा कर दिया और षड्यंत्र के तहत सुरक्षा कर्मियों की भीड़ में पालकी को गर्भगृह की तरफ जाने से रोकने का प्रयास किया। 

 महंत आवास प्रशासन के दबाव में इसलिए आ गया क्योंकि संकल्पित काशीवासी बाबा के भक्तों पर प्रशासन किसी तरह निराधार आरोप लगाकर महादेव के भक्तों और परंपरा को कलंकित ना कर दें – वाचस्पति तिवारी

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