परशुराम जयंती पर हुए कार्यक्रम

परशुराम जयंती पर हुए कार्यक्रम
बांदा। जिले भर में परशुराम जयंती श्रद्धा के साथ मनाई गयी। वक्ताओं ने कहा कि शस्त्र और शास्त्र के महाज्ञानी भगवान परशुराम ने तप और पराक्रम से मानव जाति का कल्याण किया। तिंदवारी कस्बे के प्रेम नगर स्थित राम मैरिज हॉल में भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम के जन्मोत्सव पर उनके चित्र में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच माल्यार्पण, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजा अर्चना की गयी। भगवान परशुराम से देशवासियों के सुख, समृद्धि एवं उत्तम स्वास्थ्य की कामना की गयी। पंडित ओंकार मिश्रा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रामनारायण त्रिपाठी ने कहा कि परशुराम त्रेता युग में एक ब्राह्यण ऋषि के घर जन्मे थे और विष्णु के छठे अवतार हैं। अपने तप और पराक्रम से उन्होने मानव जाति का कल्याण किया। पौराणिक वृत्तांतों के अनुसार उनका जन्म भृगु के पुत्र जमदग्नि द्वारा संपन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इंद्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से बैसाख शुक्ल तृतीया को भगवान विष्णु के आवेशावतार के रूप में हुआ था। कमेटी के संरक्षक आनंद स्वरूप द्विवेदी ने कहा कि महाभारत एवं विष्णु पुराण के अनुसार परशुराम का मूल नाम राम था लेकिन जब भगवान शिव ने उन्हे अपना परशु नामक अस्त्र प्रदान किया तभी से उनका नाम परशुराम हो गया। अनूप तिवारी ने कहा कि कैलाश पर्वत पर स्थित भगवान शंकर के आश्रम में विद्या प्राप्त विशिष्ट दिव्यास्त्र विद्युदभि नामक परशु प्राप्त किया। दीपक मिश्रा ने कहा कि वह शस्त्र विद्या के महान गुरू थे। उन्होने भीष्म, द्रोण व कर्ण को अस्त्र विद्या प्रदान की थी। कार्यक्रम में विष्णुदत्त तिवारी, सत्यनारायण द्विवेदी मुरारी जी, ओमप्रकाश मिश्रा, चंद्रपाल गर्ग, गजोधर द्विवेदी, कमलाकांत त्रिवेदी, महानारायण शुक्ला, राकेश तिवारी, रमाकांत द्विवेदी व बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।