दीवाली आई नजदीक, जुए का चर्चित अड्डा हो गया गुलजार –
फतेहपुर:- जनपद में वैसे तो दीवाली पर्व के नजदीक आते ही जगह-जगह जुए के अड्डे गुलजार हो गए हैं, पर एक खास अड्डा जो अक्सर चर्चित रहा है। कभी आईपीएस की छापेमारी के बाद जुआरियों की गिरफ्तारी के कारण तो कभी इस अड्डे में शहर के कई संभ्रांत परिवार के लोगों के शामिल होने के कारण। बताते हैं कि इस चर्चित स्थान पर संचालक के द्वारा सुरक्षा की पूर्ण गारंटी देने के साथ-साथ खाने पीने की भी ठीक-ठाक व्यवस्था किये जाने से इस अड्डे में दिनभर जुआरियों का जमघट लगा रहता है। शहर के संभ्रांत लोगों के खेल में शामिल हो जाने के कारण प्रतिदिन हार जीत-हार का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। जुए के खेल में बड़ी रकम हार जाने के बाद कुछ जुआरियों के द्वारा अपने साथ लाए गए गहने, मोबाइल, जमीन व वाहन तक गिरवी रखकर दांव लगाने के मामले भी पहले की तरह फिर संज्ञान में आने लगे है। हालांकि बदनामी के डर से इलाके के जुआ खेलने के शौकीन अधिकतर धनाढ्य लोगों ने शहर के इस गुप्त ठिकाने में धड़ल्ले से चल रहे जुआ के अड्डे को अपना आशियाना बना लिया है। बताते हैं यहां गैर जनपद तक से लोग जुआं खेलने आते हैं। सोमवार के दिन इसी अड्डे पर 60 हजार रुपये जुएं में हारने के बाद गम मिटाने के लिए नशे में टल्ली एक जुएं की शौकीन की माने तो शहर के इस जुआं के अड्डे में दसियों लाख की रकम की हार जीत होती है। वहीं इस अड्डे के बारे में विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि सच्चाई ये है कि हारो या जीतो संचालक अपना कमीशन ले लेता है। कभी-कभी अहंकार वश संचालक का मुख्य गुर्गा बसलूकी भी कर देता है। वास्तविकता ये है कि जुए के अड्डे के संचालक का ये अड्डा सजा कर जुआं खिलाना प्रमुख काम है, सदर कोतवाली की आबूनगर चौकी क्षेत्र में ये फड़ संचालित होना बताया जाता है। बतातें हैं कि ये संचालक तो सिर्फ मोहरा है इस पर हाथ किसी और का है। यहॉं पेशेवर जुआरी भी ताश के पत्ते फेंटने आ रहे हैं और लाखों रुपये दांव पर लग कर भाग्य आजमा रहे हैं। क्षेत्रीय लोग इस अड्डे के संचालक से परेशान है पर इसकी दबंगई के आगे मुहँ नही खोलते हैं। चर्चा है कि पूर्व में तैनात एक आईपीएस ने इस अड्डे पर छापेमारी कर जुआड़ियों की गिरफ्तारी कर भारी मात्रा में माल बरामद किया था, और सिफारिशों को दरकिनार कर जुआड़ियों को जेल भेजा था। इस आईपीएस का नाम सुनते ही अड्डा संचालक आज भी थर-थर कांपने लगता हैं। जुए के खेल से भाग्य के मोह जाल भरे खेल में सैकड़ों परिवार तबाही का शिकार हो चुके हैं। इसमें ज्यादातर युवा जुआ के लती होकर घर की पूंजी गंवा कर बर्बादी के रास्ते पर पहुंच रहे हैं, और आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं। पूर्व में जनपद में तैनात एक आईपीएस अधिकारी का नाम सुनते ही इस जुए के अड्डे के संचालक के होश गुम हो जाते थे और थर-थर कांपने लगता था, पर अब ऐसा लगता है कि बदले समय में जुआरियों को पुलिस व कानून का कोई डर नहीं रहा है। इसका बड़ा कारण शायद कुछ पुलिस कर्मियों द्वारा इन्हें संरक्षण व संलिप्तता देना हो सकता है। इसी कारण शहर के पॉश इलाके में ये फड़ महीनों से बेखौफ संचालित हो रही है जो कि पुलिस की मौजूदा कार्यशैली की वास्तविकता का भी खुलासा कर रही हैं।