लखनऊ

जीवन को खुशहाल और लंबा बनाना है तो रूटीन में ये बदलाव जरूरी – सीएम 

गोरखपुर:- महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में सोमवार को अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन क‍िया गया।कार्यक्रम को मुख्यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ ने संबोध‍ित क‍िया।सीएम ने कहा कि आयुर्वेद का पंचकर्म हो,अष्टांग योग हो या नाथ योगियों द्वारा दिया गया हठयोग,तीनों का काम शरीर को विकारों से मुक्त करना ही है।पित्त और कफ जब असंतुलित होते हैं तो विकार उत्पन्न होते हैं। इनके असंतुलित होने का मुख्य कारण अनियमित दिनचर्या है। दिनचर्या को नियमित कर लिया जाए तो भी विकारों से मुक्ति मिल सकती है।
सीएम योगी ने कहा कि आयुर्वेद पंचकर्म के जरिए,अष्टांग योग यम- नियम व प्राणायाम के जरिए तथा हठयोग भी यम- नियम व उच्चतम साधना के जरिए शरीर को विकारों से मुक्त करते हैं और संपूर्ण आरोग्यता को प्रदान करते हैं।
सीएम योगी ने कहा कि आयुर्वेद साधना व सिद्धि का उत्कर्ष है,जो ब्रह्मांड में है वही पिंड में है। सीएम ने कहा कि महायोगी गुरु गोरखनाथ ने भी कहा है कि पिंड माही ब्रह्मांड। सिद्ध की पराकाष्ठा पर पहुंचकर योगी बाहर नहीं देखता, वह अपने भीतर ज्ञान की खोज करता है। जो पंचभूत बाहर हैं वही पंचभूत शरीर में हैं। इसलिए शरीर को ब्रह्मांड से जोड़ने की प्रक्रिया है योग। जब पित्त, कफ में असंतुलन हो जाता है तो शरीर रुग्ण होता है।
सीएम योगी ने कहा कि आयुर्वेद पंचकर्म व औषधियों के माध्यम से उस असंतुलन को ठीक करता है। यही काम नाथ पंथ के योगिया द्वारा दी गई साधना पद्धति व अष्टांग योग भी यम- नियम, प्राणायाम के जरिए करता है। जब हम दिनचर्या नियमित नहीं रखते हैं, देर रात को सोते हैं और सुबह सूर्योदय के बाद उठते हैं तो इससे बात, कफ, पित्त में विसंगति आती है और वह हमें रुग्ण कर देता है।इससे हम लंबे समय तक परेशान होते हैं।
सीएम योगी ने कहा क‍ि अधिक दिन तक जीवित रहना चाहते हैं तो रात में 11 बजे तक सो जाना ही बेहतर है और सूर्योदय से पहले उठना चाहिए।आयुर्वेद, योग व नाथ पंथ तीनों का यह मानना है कि पंच भौतिक शरीर ब्रह्मांड से अलग नहीं है। जो ब्रह्मांड में है वही इस काया में है। हमें उसके साथ तादात्म्य स्थापित करना पड़ेगा।
सीएम योगी ने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में आए हुए विशेषज्ञ व शोधार्थी अपने पेपर प्रस्तुत करेंगे। सीएम ने कहा कि विशेषज्ञ व शोधार्थि‍यों को इस पर और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है क्योंकि भारत में योग, आयुर्वेद व हठयोग के संबंध में बहुत कुछ भरा पड़ा है। यदि वे इस कार्य को आगे बढ़ा सकें तो इससे आने वाली पीढ़ियां लाभान्वित होंगी।

 

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