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जानें क्या वक्फ बोर्ड, क्या है कानूनी अधिकार;सरकार ने जो वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया है वो क्या है –

दिल्ली:-वक्फ कोई भी अचल संपत्ति हो सकती है, जिसे इस्लाम को मानने वाला कोई भी व्यक्ति धार्मिक कार्यों के लिए दान कर सकता है। इस दान की हुई संपत्ति की कोई भी मालिक नहीं होता है। दान की हुई इस संपत्ति का मालिक अल्लाह को माना जाता है। लेकिन, उसे संचालित करने के लिए कुछ संस्थान बनाए गए है। 

वक्फ करने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं। जैसे- अगर किसी व्यक्ति के पास एक से अधिक मकान हैं और वह उनमें से एक को वक्फ करना चाहता है तो वह अपनी वसीयत में एक मकान को वक्फ के लिए दान करने के बारे में लिख सकता है। ऐसे में उस मकान को संबंधित व्यक्ति की मौत के बाद उसका परिवार इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। उसे वक्फ की संपत्ति का संचालन करने वाली संस्था आगे सामाजिक कार्य में इस्तेमाल करेगी। इसी तरह शेयर से लेकर घर, मकान, किताब से लेकर कैश तक वक्फ किया जा सकता है

कोई भी मुस्लिम व्यक्ति जो 18 साल से अधिक उम्र का है वह अपने नाम की किसी भी संपत्ति को वक्फ कर सकता है। वक्फ की गई संपत्ति पर उसका परिवार या कोई दूसरा शख्स दावा नहीं कर सकता है। 

वक्फ बोर्ड कानून क्या है? क्या है कानूनी अधिकार –

वक्फ बोर्ड कानून 2013 संसोधन में वक्फ बोर्डों को व्यापक शक्तियां प्रदान की गई थी। तब से यह विवादास्पद हैं। वक्फ अधिनियम, 1995 (2013 में संशोधित) की धारा 3 के तहत परिभाषित किया गया है, वक्फ या वक्फ का अर्थ है मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए किसी भी चल या अचल संपत्ति का किसी भी व्यक्ति द्वारा दान देना। वक्फ अधिनियम, 1995, एक ‘वकीफ’ (वह व्यक्ति जो मुस्लिम कानून द्वारा धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए संपत्ति समर्पित करता है) द्वारा ‘औकाफ’ (दान की गई और वक्फ के रूप में अधिसूचित संपत्ति) को रेगुलेट करने के लिए लाया गया था। 

1995 अधिनियम 1995 की धारा 32 कहती है कि किसी राज्य में सभी वक्फ संपत्तियों का सामान्य पर्यवेक्षण राज्य/केंद्र शासित प्रदेश वक्फ बोर्डों (एसडब्ल्यूबी) के पास निहित है और वक्फ बोर्ड को इन वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करने का अधिकार है। 1954 का अधिनियम जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान वक्फ के कामकाज के लिए एक प्रशासनिक संरचना प्रदान करने के उद्देश्य से अधिनियमित किया गया था। तब वक्फ बोर्डों के पास शक्तियां थीं, जिनमें ट्रस्टियों और मुतवल्लियों (प्रबंधकों) की भूमिकाएं भी शामिल थीं।

1954 अधिनियम को 1964, 1969 और 1984 में संशोधित किया गया था। आखिरी बार 2013 में वक्फ संपत्तियों के अवैध हस्तांतरण को रोकने और अतिक्रमण हटाने के लिए प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए कड़े उपाय शामिल किए गए थे। 

वक्फ बोर्डों के पास कितनी संपत्ति है?

भारतीय वक्फ परिसंपत्ति प्रबंधन प्रणाली (वामसी) के अनुसार, देश में कुल कुल 3,56,047 वक्फ संपदा हैं। इनमें अचल संपत्तियों की कुल संख्या 8,72,324 और चल संपत्तियों की कुल संख्या 16,713 है। डिजिटल रिकॉर्ड्स की संख्या 3,29,995 है। 

पहले बिल के जरिए वक्फ कानून 1955 में महत्वपूर्ण संशोधन लाए जाएंगे, वहीं दूसरे बिल के जरिए मुसलमान वक्फ कानून 1923 को समाप्त किया जाएगा। इसके बेहतर कामकाज और संचालन के लिए 44 संशोधन पेश करके 1995 के वक्फ अधिनियम की संरचना में बदलाव किया जाएगा। प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य बोर्डों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना भी है।

सरकार ने जो वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया है वो क्या है? 

पिछले कई दिनों से चर्चा थी कि सरकार संसद में वक्फ बोर्ड में संशोधन से जुड़ा विधेयक पेश कर सकती है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने आज लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 पेश किया। 40 से अधिक संशोधनों के साथ, वक्फ (संशोधन) विधेयक में मौजूदा वक्फ अधिनियम में कई भागों को खत्म करने का प्रस्ताव है। 

इसके अलावा, विधेयक में वर्तमान अधिनियम में दूरगामी परिवर्तन की बात कही गई है। इसमें केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी शामिल है। इसके साथ ही किसी भी  धर्म के लोग इसकी कमेटियों के सदस्य हो सकते हैं। अधिनियम में आखिरी बार 2013 में संशोधन किया गया था।

किरने रिजिजू ने कहा कि वक्फ बोर्ड के अंदर में 12792 केस आज पेंडिंग हैं। ट्राइब्यूनल में कुल 19207 केस पेंडिंग हैं। क्यों इसको हम खत्म नहीं कर सकते हैं। टाइम लाइन बहुत जरूरी है, न्याय मिलना चाहिए लेकिन समय पर न्याय मिलना चाहिए। अब हमने टाइमलाइन सेट कर दिया है। अपील 90 दिन के अंदर, 6 महीने के अंदर डिस्पोजल होना चाहिए। अगर सुनना नहीं चाहते हैं तो इतना सवाल क्यों पूछा। आप सवाल पूछकर भाग जाना चाहते हो, ऐसा नहीं होने देंगे।

बिल पर सरकार का कहना है की, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में विधेयक पर चर्चा करते हुए कहा कि यह बिल सच्चर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर ही लाया गया है। इसी में कहा गया है कि राज्य और केंद्रीय वक्फ बोर्ड में दो महिलाएं होनी चाहिए। इसी में की गई सिफारिशों को लागू करने के लिए हम यह बिल लेकर आए हैं। इस बिल में जो भी प्रावधान हैं, उसमें संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है। किसी का हक छीनने की बात तो छोड़ दीजिए, यह बिल उन्हें हक देने के लिए लाया गया है जिन्हें आज तक उनका हक नहीं मिला। उन्होंने कहा कि पहले भी कई बदलाव हो चुके हैं। 1995 में जो संसोधन किए गए थे, उन्हें 2013 में लाए गए संसोधनों के जरिए निष्क्रिय कर दिया गया, इसलिए यह बिल लाना पड़ा है। 1995 का वक्फ संसोधन विधेयक पूरी तरह से निष्प्रभावी रहा है। इसलिए यह संसोधन करना पड़ रहा है। 

रिजिजू ने विपक्ष से कहा कि इस बिल का समर्थन कीजिए करोड़ों लोगों की दुआ मिलेगी। वक्फ बोर्ड पर चंद लोगों ने कब्जा किया है। आम मुसलमान लोगों को जो इंसाफ नहीं मिला उसे सही करने के लिए यह बिल लाया गया है।

 

कलेक्टर की नियुक्ति के बारे में विपक्ष की आपत्ति पर किरेन रिजिजू ने कहा कि कलेक्टर के पास ही रेवेन्यू रिकॉर्ड देखने का काम होता है। तो रेवेन्यू रिकॉर्ड देखने के लिएकलेक्टर को नहीं तो किसे नियुक्ति किया जाएगा।

ट्राइब्यूनल में पहले तीन सदस्य होते थे। अब इसमें एक न्यायिक और टेक्निकल सदस्य भी होगा।

नए बिल में प्रवधान है कि किसी भी मामले में 90 दिन में उसकी अपील होनी चाहिए और छह महीने के अंदर केस का निपटारा होना चाहिए।

बोर्ड को चलाने के लिए जानकार लोगों की जरूरत है। इसलिए अच्छे अधिकारियों को बोर्ड को चलाने के लिए नियुक्त किया जाएगा। 

वक्फ संपत्ति से जो भी कमाई होगी वो मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए ही इस्तेमाल होगी।

अनुच्छेद 26 का जिक्र क्यों हो रहा है?

बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने भी इसका जिक्र किया। उन्होंने अनुच्छेद 26 का हवाला देते हुए कहा कि इस बिल में यह प्रावधान है कि गैर मुस्लिम भी वक्फ बोर्ड के सदस्य हो सकते हैं। यह किसी धर्म का आस्था और स्वतंत्रता पर हमला है।  

 

दरअसल, अनुच्छेद-26 धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता देता है। अनुच्छेद कहता है कि प्रत्येक धार्मिक संप्रदाय या उसके किसी अनुभाग को धार्मिक और पूर्त प्रयोजनों के लिए संस्थाओं की स्थापना और पोषण का अधिकार होगा। सभी धार्मिक संप्रदायों या उनके किसी अनुभाग को अपने धर्म से उनके किसी अनुभाग को अचल और चल संपत्ति अर्जित करने और उसके स्वामित्व का अधिकार होगा। इसके साथ ही इस तरह की संपत्तियों को कानून के मुताबिक प्रशासन करने का भी अधिकार होगा। 

 

 

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