वाराणसी
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गौरा का गौना कराने ससुराल पहुचे काशीपुराधिपति, खास ‘रंगभरी ठंडई’ से किया गया बाबा की बारात का स्वागत, दूल्हा बने बाबा विश्वनाथ पर ठंडई और गुलाबजल की फुहार उड़ाई –

-मथुरा जेल के कैदियों और अयोध्या से कर्मकांडी परिवार राम भक्त मंडली द्वारा बनाया गया गुलाल पहुंचा काशी

 

वाराणसी:- गौना की बारात लेकर रंगभरी की पूर्व संध्या पर मंगलवार को महंत आवास (गौरा सदनिका) पहुंचने पर बाबा की बारात का अनूठा स्वागत हुआ। बारातियों का स्वागत रंगभरी ठंडई पिला कर किया गया। दूल्हा बने बाबा विश्वनाथ पर ठंडई और गुलाबजल की फुहार उड़ाई गई। इसके बाद फल, मेवा और बाबा के लिए खासतौर पर तैयार की गई ‘रंगभरी ठंडई’ से पारंपरिक स्वागत किया गया।
बारात के साथ ही अयोध्या के पारंपरिक रामायणी परिवार के प्रतिनिधि पं. अनिल तिवारी ने रंगभरी एकादशी की तिथि पर शिव और गौर की पालकी पर उड़ने के लिए अबीर भेंट की। साथी मथुरा के जेल में कैदियों द्वारा तैयार की गई खास हर्बल अबीर भी काशी पहुंची।


गौरा का गौना कराने बाबा विश्वनाथ के आगमन पर अनुष्ठान का विधान पं.सुनील त्रिपाठी के अचार्यत्व में।बाबा का ससुराल (गौरा सदनिका) में स्वागत संकठा मंदिर के मंहत पं.अतुल शर्मा व रजनी शर्मा ने किया। वैदिक बटुकों ने मंत्रोचार के साथ बाबा का अभिषेक करने के बाद वैदिक सूक्तों का घनपाठ किया गया। काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ कुलपति तिवारी के सानिध्य में संजीवरत्न मिश्र ने अनुष्ठान किया। बाबा विश्वनाथ एवं माता पार्वती की गोद में प्रथम पूज्य गणेश की प्रतिमा को एक साथ सिंहासन पर विराजमान कराया गया। पूजन-आरती कर भोग लगाया गया। पहले डमरुओं की गर्जना हुई फिर महिलाओं और नगर के कलाकारों ने मंगल कामनाओं से परिपूर्ण पारंपरिक गीत, लोकनृत्य, संगीत से ससुराल पहुचे काशी पुराधिपति का स्वागत हुआ। टेढ़ीनीम में गौरा सदनिका गौने के बधाई गीतों से गुंजायमान हो उठी।


रंगभरी एकादशी पर 20 मार्च को बाबा के पूजन का क्रम ब्रह्म मुहूर्त में मंहत आवास पर आरंभ होगा। बाबा के साथ माता गौरा की चल प्रतिमा का पंचगव्य तथा पंचामृत स्नान के बाद दुग्धाभिषेक किया जाएगा। दुग्धाभिषेक पं. वाचस्पति तिवारी और संजीवरत्न मिश्र करेंगे। सुबह पांच से साढ़े आठ बजे तक 11 वैदिक ब्रह्मणों द्वारा षोडशोपचार पूजन पश्चायत फलाहार का भोग लगा महाआरती की जाएगी। दस बजे चल प्रतिमाओं का राजसी शृंगार एवं पूर्वाह्न साढ़े ग्यारह बजे भोग आरती के बाद के बाबा का दर्शन आम श्रद्धालुओं के खोला जाएगा। जन सामान्य के लिए दर्शन सायं साढ़े चार बजे तक खुला रहेगा। डमरूदल के सदस्यों के लिए दोपहर दो से तीन बजे तक समय निर्धारित किया गया है।
बाबा की पालकी की शोभायात्रा टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास से विश्वनाथ मंदिर तक निकाली जाएगी। इससे पूर्व प्रात: साढ़े दस बजे से शिवांजलि के अन्तर्गत संक्षिप्त संगीत समारोह का परंपरागत आयोजन  होगा। एएम. हर्ष के संयोजन में होने वाले शिवांजलि संगीत समारोह की शुरुआत महेंद्र प्रसन्ना द्वारा शहनाई की मंगलध्वनि से होगी।

विशेष: –
-बाबा और गौरा के लिए अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकरपुरी द्वारा कोलकाता से मंगाए गए देव किरीट की विशेष पूजा होगी

– काठियावाड़ी परिधान के साथ कांजीवरम साड़ी में विदा होगी गौरा।

-शोभायात्रा के समय पालकी को छूने की रहेगी मनाही। शोभायात्रा के समय श्रद्धालुओं को संयम बरतने की अपील।

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