गोरखपुर विश्वाविद्यालय के अन्याय व संवेदनहीनता के विरुद्ध डॉ० संपूर्णानंद मल्ल “पूर्वांचल गांधी” का आमरण का पांचवें दिन –

गोरखपुर :- शांतिवन शोध पुस्तकालय सुबह 6 बजे 19 जुलाई 2025“महामहिम राज्यपाल कुलाधिपति” उत्तर प्रदेश ‘आमरण अनशन पांचवा दिन ‘जवाबदेही’मेरा मौलिक अधिकार’ “मेरे दर्जनों पत्र /ज्ञापन पढ़ें जवाब दें’ ‘संवेदनहीन फिरंगियों से अधिक क्रूर प्रणाली’ हाड़ मांस प्राण रहित नहीं हूं जैसा की’क्रूर सिस्टम’समझ रहा है “परम सम्मान देते हुए” विश्वविद्यालयों में सहा.प्रो. की योग्यता ‘PG 55% अंकों के साथ’यूजीसी नेट’उत्तीर्ण’हैं। UG, में कोई 33% पाया है या 99% पाया है,यूजीसी रेगुलेशन में इसका संदर्भ नहीं हैं जहां तक उत्तम शैक्षिक अभिलेख का प्रश्न है,’PG न्यूनतम 55% अ साथ यूजीसी नेट शामिल कर बनेगा’ जहां तक मेरे उत्तम शैक्षिक अभिलेख एवं ‘रिसर्च एबिलिटी’का प्रश्न है विख्यात इंडोलॉजिस्ट’हिस्टोरियन’प्रो जयमल राय 92 वर्ष (जिनके पी एचडी एग्जामिनर SOAS लंदन के प्रो ALबाशम थे,) द्वारा यह जांच का विषय हैं कि ऐसा किस आचार्य के पास? दीदउ विवि गोरखपुर में किसी के पास नहीं। मेरी लिखी शोध पुस्तक “पुरातत्व की अनुसंधान प्रणाली’ PG स्तर पर ‘मेथड्स एंड थ्योरी’पाठ्यक्रम की ऐसी पुस्तक है जों न इसके पहले लिखी गई है शायद न बाद में लिखी जाए? उस पुस्तक में ‘पुरातत्व के पंचदेव’एवं ’10 महारथी”दो नवीन विचार प्रतिपादित है,इंडोलॉजी आर्कियोलॉजी हिस्ट्री के रिसर्चर को पढ़ना चाहिए पुस्तक अमेजॉन’ फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।
मैं योग्य हूं, मा। राष्ट्रपति’ राज्यपाल भी मुझे अयोग्य नहीं ठहरा सकते,जो कुलपतियों के नियोक्ता हैं और यदि प्रथम श्रेणी PG यूजीसी नेट DU से आर्कियोलॉजी’हिस्ट्री’का पीएचडी अयोग्य तो भारत के किसी विवि का कोई आचार्य योग्य नहीं।
मुझे अयोग्य ठहराने वाले दीदउ विश्वविद्यालय के इंसेंट हिस्ट्री’ आर्कियोलॉजी’एंड कल्चर डिपार्टमेंट एवं हिस्ट्री डिपार्टमेंट में विगत 40 वर्षों में की गई पीएचडी की जांच करा दी जाए तो “नॉन प्लेगिरिज्म”रिसर्च मेथाडोलॉजी’की पीएचडी नहीं मिलेगी। इस विश्वविद्यालय में’ पीएच.डी ‘रिसर्च’ का अर्थ है।
”नॉन मेथाडोलॉजी”प्लेगिरिज्म”आमरण अनशन के पांचवें दिन पुनःनिवेदन करता हूं कि आयोग्य मंडली’अपराध कारित'(यूजीसी नेट अयोग्य ठहराना) 30.08.03 (मानदेय नियुक्ति तिथि) से वरिष्ठतानुसार प्रो पद पर मुझे नियुक्ति पत्र जारी कर दे.यूजीसी पत्र 28.08.08 अब तक लागू क्यों नहीं ?’प्लेगिरिज्म’की एचडी के 11 शिक्षक 31(3)c के तहत शिक्षा सत्र 2006 -07 नियमित कर दिया जो आज प्रोफेसर हेड है, उसमें दो डॉ सुधाकर लाल 49% एवं डॉ प्रेमव्रत तिवारी 45% को नियमित कर दिया जबकि स्नातक में न्यूनतम 50% अंकों की बाध्यता के आधार पर यूजीसी नेट रेगुलेशन की हत्या करते हुए शिक्षा सत्र 2007-8 में मेरा अप्रूवल एवं भुगतान निरस्त कर दिया विश्वविद्यालय यदि क्राइम न किया होता तो मैं वरिष्ठ आचार्य होता SOAS लंदन से आर्कियोलॉजी में रिसर्च का अपना सपना पूरा किया होता परंतु इन अपराधियों ने मुझे एवं मेरे परिवार विशेष कर बच्चों को जिंदा दफन कर दिया।