गोपाष्टमी पर धर्मसंघ में 21 वैदिक ब्राह्मणों एवं 111 बटुकों द्वारा शुक्ल यजुर्वेद के मंत्रोच्चार के बीच षोडषोपचार विधि से गऊ पूजन किया गया –
✍️नवीन तिवारी
वाराणसी:– गोपाष्टमी के पावन अवसर पर धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज की तपोभूमि धर्मसंघ (मणि मंदिर) दिन भर विविध आयोजनों से चहकता रहा। शनिवार को दुर्गाकुण्ड स्थित प्रांगण में धूमधाम से गौपूजन किया गया। परिसर में स्थापित स्वामी करपात्री आदर्श गौशाला में प्रातः सात बजे से धर्मसंघ महामंत्री पंडित जगजीतन पाण्डेय ने सविधि पूजन अर्चन प्रारंभ किया। धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज के पावन सानिध्य में 21 वैदिक ब्राह्मणों एवं 111 बटुकों द्वारा शुक्ल यजुर्वेद के मंत्रोच्चार के बीच षोडषोपचार विधि से गऊ पूजन किया गया। सर्वप्रथम गौरी – गणेश पूजन तथा आदित्य सूर्य पूजन किया गया। तत्पश्चात भगवान विष्णु पूजन के बाद गौपूजन किया गया।
गोपाष्टमी के अवसर पर पर गौशाले में सैकड़ो की संख्या में रह रही शुद्ध देशी गाय, साहीवाल, गंगातीरी, गिर गायों को प्रातःकाल पंचगव्य और पंचामृत स्नान कराया गया, उसके बाद गायों का रंग बिरंगे रेशमी वस्त्र, मुकुट, आभूषण आदि से श्रृंगार किया गया था। पूजन के उपरांत सभी गायों को गुड़, फल और मिठाई के साथ हरे चारे के रूप में साग, खीरा, लौकी, सेम, गाजर, मूली, हरा मटर आदि भोग खिलाया गया। अंत मे आरती कर उनकी प्रदक्षिणा की गयी।
गऊ ही सृष्टि की उद्धारक-
गौपूजन के उपरांत धर्मसंघ के महामंत्री पण्डित जगजीतन पाण्डेय ने बड़ी संख्या में उपस्थित गौसेवकों को संदेश देते हुए कहा कि धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी का सम्पूर्ण जीवन गौ सेवा के लिए समर्पित रहा। उनका मत था कि गऊ ही इस युग मे उद्धारक है, गौसेवा से समस्त पापों का शमन होता है और कल्याण के मार्ग प्रशस्त होते है। उन्होंने कहा कि गाय हमारे लिए सिर्फ कहने मात्र की माँ नही है बल्कि हम इसे अपनी माँ की तरह ही सेवा भी करते है। गाय सर्वसुख प्रदान करने वाली है, गाय का अवतार ही सर्वकल्याणार्थ हुआ है।
गौ पूजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। आगतजनों का स्वागत राजमंगल पाण्डेय ने किया।