गंगा आरती के लिए नगर निगम की नई नियमावली अब लेनी होगी अनुमति,12 साल पुरानी संस्थाएं ही मानी जाएंगी वैध –

वाराणसी:- काशी के गंगा घाटों पर धार्मिक गतिविधियों और सफाई व्यवस्था को लेकर नगर निगम प्रशासन ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है। इसके तहत गंगा घाटों पर आरती कराने वाली संस्थाओं के लिए नई नियमावली (नगर निगम की घाट उपविधि) बनाई गई है। इसके तहत अब गंगा आरती के लिए संस्थाओं को अनुमति लेनी होगी। वहीं 12 साल पुरानी संस्थाओं को ही वैध माना जाएगा। इस नियमावली का उद्देश्य घाटों की सफाई व्यवस्था, अतिक्रमण और अव्यवस्था पर नियंत्रण करना है। नियमावली पर जनता से सुझाव मांगे गए हैं। इन पर विचार के बाद नई नियमावली लागू की जाएगी।
आरती कराने वाली संस्थाओं के लिए सख्त नियम –
नियमावली के अनुसार, केवल 12 साल से आरती करा रही संस्थाओं को ही वैध माना जाएगा। हर संस्था को आरती कराने की अनुमति नगर निगम और जिला प्रशासन से लेनी होगी। यह अनुमति एक साल के लिए होगी और इसके बाद नए सिरे से औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी। आरती की सूचना नगर निगम और जिला प्रशासन को अनिवार्य रूप से देनी होगी।
गंगा घाटों का महत्व और समस्या –
काशी के गंगा घाट, विशेष रूप से दशाश्वमेध, अस्सी, शीतलाघाट, पंचगंगा, ललिताघाट, और केदारघाट, धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां पर रोजाना एक लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं। हालांकि, घाटों पर सफाई की जिम्मेदारी आरती समितियों द्वारा नहीं निभाई जाती, जिसके कारण घाटों पर गंदगी और अतिक्रमण की समस्या बनी रहती है।
सफाई और अतिक्रमण पर सख्ती –
घाटों की सफाई के लिए आरती कराने वाली हर संस्था को कूड़ेदान रखना अनिवार्य होगा। गंदगी या घाटों को नुकसान पहुंचाने पर 200 से 5000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। नगर निगम और जिला प्रशासन के निर्देशों का सख्ती से पालन करना होगा। धार्मिक आयोजनों को छोड़कर किसी भी अन्य प्रकार के आयोजन के लिए नगर निगम से अनुमति लेनी होगी और निर्धारित शुल्क जमा करना होगा।
अतिक्रमण पर नियंत्रण –
नियमावली के तहत घाटों पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण सख्ती से रोका जाएगा। विज्ञापन, बैनर, गुब्बारे, और अन्य संरचनाओं के लिए अनुमति और शुल्क अनिवार्य होगा। यह नियमावली गंगा के सभी 88 घाटों पर लागू होगी, जिसमें स्थिर और प्रवाहमान जल के किनारे की भूमि शामिल है।
घाटों के रखरखाव में सुधार की योजना –
नगर निगम के अनुसार, गंगा घाट राज्य सरकार की संपत्ति हैं, और उनकी सुरक्षा और रखरखाव की जिम्मेदारी नगर निगम की है। घाटों पर पौधों, प्राकृतिक उत्पादों, और अन्य संरचनाओं को भी नगर निगम के दायरे में लाया गया है।
जन आपत्तियों के बाद लागू होगी नियमावली –
नियमावली को लागू करने से पहले आम जनता से आपत्तियां और सुझाव मांगे जाएंगे। आपत्तियों का निस्तारण करने के बाद इसे पूरी तरह से लागू किया जाएगा। अपर नगर आयुक्त दुष्यंत कुमार मौर्या ने कहा कि गंगा घाटों को बेहतर बनाने के लिए नियमावली बनाई गई है। इसे लागू करने से घाटों की व्यवस्था में सुधार होगा और धार्मिक आयोजनों की गरिमा बनी रहेगी।