
बांदा। बुंदेलखण्ड क्षेत्र मे खनिज व्यापार से सरकार को जहां राजस्व का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त होता है। वहीं दूसरी ओर खजिन कारोबार से जुड़े खनन कारोबारी प्रशासनिक चूक के कारण प्रतिमाह करोडो की राजस्व चोरी भी कर रहे है। जिसके बहुत से उदाहरण प्रकाश मे आ रहे हैं। वर्तमान मे जनपद मे लगभग डेढ दर्जन नदी तल पर बालू/मोरम के खनन पट्टे विभिन्न पट्टाधारकों व कंपनियों को दिये गये है। जहां खनन नियमावली, एनजीटी, परिवहन व पर्यावरण के नियमों को केवल कागजी सहमति पत्र पर ही पालन किया जाता है। मौके पर खनन व परिवहन बिना रोकटोक नियमों के विरूद्ध बेतहाशा खनन व ओवरलोडिंग कर जिम्मेदारों से लेकर खनन कारोबारी काली कमाई करते हैं। जिससे प्रदेश सरकार को प्रतिमाह करोडो रुपये के राजस्व की क्षति पहुंचाई जाती है साथ ही इसके दुष्प्रभाव के चलते क्षेत्रीय जनों को गंभीर दुष्परिणामों का सामना करना पडता है जिसमे गर्मियों के मौसम मे शहर वासियों को पेयजल व धूल भरी रास्तों से गुजरना पड़ता है। कुछ खनन पट्टाधारक इतने बेखौफ हैं जो केन, रंज, बागे व यमुना नदियों की कोख को उजाड़ने के लिए जलधारा मे ही लगातार खनन कर रहे हैं। और मानक से चार गुना अधिक बालू को ओवरलोड वाहनों मे भरकर बेंच रहे हैं पूर्व मे भी प्रकाशित खबरों और जन विरोध के चलते जिले की तेज तर्रार डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल की डांट फटकार से संबंधित खनन व परिवहन के अधिकारियों ने मुह देखी कार्रवाई कर आल इज वेल करने का प्रयास किया। करोडो की चोरी के बाद कुछ लाख के जुर्माना कर कुछ ही दिनों मे दोबारा से पट्टाधारकों को बदस्तूर ओवरलोडिंग व खनन की छूट दे दी। जैसा कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक प्रसारित फोटो व खबर ने दर्शाया गया है कि मानक से पांच गुना अधिक लदे ओवारलोड ट्रक व ट्रैक्टर कैसे सरपट दौड रहे हैं। इसी तरह कनवारा नरैनी तहसील के गिरवां थाना क्षेत्र के बरियारी, मरौली, महुटा, चरका खादर व पैगम्बरपुर, जरर रोड से रात के अंधेरे मे सूत्र बताते हैं कि बंद बहादुरपुर (सिल्पाही) व श्योंढ़ा से भी ओवरलोड खनिज वाहन गुजर रहे हैं। वहीं खनन विभाग से जानकारी मांगने पर कोई जानकारी मीडिया को नही उपलब्ध कराई जाती
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