वाराणसी

काशी में आज परंपरागत तरीके से मनाया जा रहा बाबा काशी विश्वनाथ जी का तिलकोत्सव –

परंपरागत तरीके से मनाया गया बाबा का तिलकोत्सव

वाराणसी:–  बसंत पंचमी की तिथि पर बुधवार को बाबा विश्वनाथ के तिलक का उत्सव टेढ़ीनीम स्थित विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर हुआ। सप्तर्षियों के प्रतीक सात थालों में बाबा को तिलक की सामग्री अर्पित की गई। भोर में मंगला आरती से शुरू हुए अनुष्ठान का क्रम रात्रि में तिलकोत्सव के उपरांत मंगल गीतों के गायन तक चला।

सायं सात बजे जालान परिवार की अगुवाई में तिलक की रस्म पूरी की गई। शहनाई की मंगल ध्वनि और डमरुओं के निनाद के बीच तिलकोत्सव की बधइया यात्रा निकली। सात थाल में तिलक की सामग्री लेकर जालान परिवार इस शोभायात्रा का हिस्सा बने। इन थालों में बाबा के लिए वर के लिए वस्त्र, सोने की चेन, सोने की गिन्नी, चांदी के नारियल सजा कर रखे गए थे। लोकाचार के अनुसार दूल्हे के लिए घड़ी और कलम के सेट भी एक थाल में सजा कर रखे गए थे। काशीवासियों की भीड़ के साथ दशाश्वमेध मुख्य मार्ग से डेढ़ीनीम स्थित महंत आवास तक पहुंची। यहां पहुंचने पर महंत परिवार ने उनकी अगवानी की। कन्या पक्ष की ओर से जालान परिवार के सदस्यों ने तिलकोत्सव की रस्म पूरी की। पूजन का विधान संजीवरत्न मिश्र ने संपादित किया। इस मध्य पं. वाचस्पति तिवारी ने सपत्नीक रुद्राभिषेक किया। तिलकोत्सव के उपरांत सांस्कृतिक कार्यक्रम में महिलाओं की मंडली ने पारंपरिक गीत गाए। इससे पूर्व भोर में 04:00 से 04:30 बजे तक बाबा विश्वनाथ की पंचबदन रजत मूर्ति की मंगला आरती उतारी गई। 06:00 से 08:00 बजे तक ब्राह्मणों द्वारा चारों वेदों की ऋचाओं के पाठ के साथ बाबा का दुग्धाभिषेक किया गया। सुबह 8:15 बजे से बाबा को फलाहार का भोग अर्पित किया गया उसके उपरांत पांच वैदिक ब्राह्मणों ने पांच प्रकार के फलों के रस से 8:30 से 11:30 बजे तक रुद्राभिषेक। पूर्वाह्न 11:45 बजे पुन: बाबा को स्नान कराया गया। 12:00 से 12:30 बजे तक मध्याह्न भोग अर्पण एवं आरती की गई। 12:45 से 02:30 बजे तक महिलाओं द्वारा मंगल गीत गाए गए। 02:30 से 04:45 बजे तक शृंगार के लिए कक्ष के पट बंद कर दिए गए। इस बीच वाचस्पति तिवारी एवं संजीव रत्न मिश्र ने बाबा का दूल्हा के रूप में शृंगार किया। 04:45 से 05:00 बजे तक संध्या आरती एवं भोग के बाद सायं पांच बजे से भक्तों के दर्शन के लिए पट खोल दिए गए। भक्तों ने बाबा का दूल्हा स्वरूप में दर्शन किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page