काशीवासी शुरू करेंगे ऑपरेशन बेलपत्र, बाबा विश्वनाथ के स्पर्श दर्शन के बाजारीकरण के खिलाफ फूटा आक्रोश –

वाराणसी:- काशीवासियों ने बाबा विश्वनाथ के दरबार में हो रहे कथित बाजारीकरण और आम श्रद्धालुओं को हो रही परेशानी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अब ऑपरेशन बेलपत्र’ नाम से एक जन आंदोलन की शुरुजात की जा रही है, जिसका उद्देश्य मदिर में आस्था की मूल भावना को पुनस्स्थापित करना है। यह आंदोलन उन लोगों की पीडा की आवाज है जो अपने ही शहर में, अपने ही आराध्य से दूर होते जा रहे है।
आपरेशन बेलपत्र से जुड़े वैदिक सनातनी न्यास के संतोष सिंह का कहना है कि काशी विश्वनाथ मंदिर अब आम श्रद्धालुओं के लिए नहीं रह गया है। उन्होंने कहा, ‘काशी धर्म और आस्था की नगरी है, यह दुनिया का सबसे प्राचीन द जीवित शहर है। यह शहर जिंदा है क्योंकि यहां बाबा विश्वनाथ और मां गंगा का वास है। लेकिन अब यह आस्था मॉल में बदली गई है। बारह ज्योतिलिंग में कही भी स्पर्श दर्शन नहीं हैं तो काशी में ऐसा क्यों ये स्पष्ट दर्शन भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना है सुरक्षा स्वच्छता पवित्रता के लिए स्पष्ट दर्शन बंद होना आवश्यक है गरीबों को लाइन में धक्का खाने के लिए छोड़ दिया गया है और पैसेवालों के लिए विशेष व्यवस्था है।”
सचिंद्रा नंद सनातनी बताया कि पहले लोग गंगा स्नान कर साफ वस्त्र पहनकर बाबा के दरबार में अपनी बात रखने चले जाते थे। यह रिश्ता भक्त और भगवान का नहीं बल्कि पुत्र और पिता, का था। लेकिन अब स्थिति यह अपने ही लोग बाबा के गर्भगृह तक नहीं पहुंच पा रहे है
दिलीप सिंह ने आरोप लगाया कि विश्वनाथ धाम बनने के बाद व्यवस्था पूरी तरह अधिकारियों और बाहरी ठेकेदारों के हाथ में चली गई है। इन लोगों को काशी की संस्कृति, परंपरा और श्रद्धा से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘जो अधिकारी आए, उन्होंने आर्थिक चश्मा लगाकर देखा और अपने फायदे के लिए व्यवस्था बनाई। अब गर्भगृह तक पहुंचना वीआईपी पास या भारी शुल्क से ही सभव है। मंदिर प्रशासन पर होटल मालिकों, दलालों और विशेषाधिकार प्राप्त लोगों का कब्जा हो गया है। आम श्रद्धालु दूर कर दिए गए है।”
बाजारीकरण के खिलाफ उठती इस आवाज को जन आंदोलन में बदलने के लिए ‘ऑपरेशन बेलपत्र’ अभियान शुरू किया जा रहा है। इस अभियान के तहत काशी के एक लाख से अधिक परिवारों तक बेलपत्र पहुंचाया जाएगा। हर परिवार से मंदिर व्यवस्था को लेकर उनकी राय ली जाएगी और हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा।
पत्रकारवार्ता में अजय शर्मा कहा कि यदि सरकार और मंदिर प्रशासन इस जन भावना को नहीं समझते, तो इस अभियान को न्यायालय तक ले जाया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन बाबा की सुचिता, पवित्रता और जाम श्रद्धालुओं की पहुंच को लेकर है। उन्होंने कहा, ‘यह धर्म युद्ध है। हम बाबा के पुत्र हैं. और अपने परमपिता के दरबार को बाजार बनने नहीं देंगे उनका कहना है कि यह वही काशी है जिसका अस्तित्व तब से है जब इतिहास शब्द भी नहीं बना था। यह शहर न तो किसी सरकार ने बनाया, न किसी राजा ने, बल्कि यहां के लोगों की आस्था और साधना ने इसे जीवित रखा। लेकिन आज उन्हीं लोगों को उनके ही भगवान से दूर किया जा रहा है।
‘ऑपरेशन बेलपत्र’ केवल विरोध नहीं, बल्कि एक वैकल्पिक सोच भी है जो यह बताती है कि मंदिरों को आस्था का केंद्र कैसे बने रहना चाहिए। यह आआंदोलन आने वाले दिनों में धार्मिक व्यवस्थाओं और उनके संचालन पर एक बड़ा सवाल उठाने जा रहा है।