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उपचुनाव में आजम परिवार की हुई एंट्री,इधर अखिलेश रामपुर चले तो उधर चंद्रशेखर जेल में अब्दुल्ला से मिले –

 

 

लखनऊ:- यूपी उपचुनाव से पहले सपा चीफ अखिलेश यादव और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद को आजम खान परिवार की याद आ गई है. इधर रामपुर में अखिलेश आजम परिवार से मुलाकात करने वाले हैं और उधर चंद्रशेखर ने जेल में बंद अब्दुल्ला आजम से मुलाकात कर ली. इससे सियासत तेज हो गई है.

यूपी उपचुनाव में आजम खान परिवार की एंट्री हो गई है. इधर सपा प्रमुख अखिलेश यादव रामपुर में आजम खान के परिवार से मुलाकात करने वाले हैं और उधर आजाद समाज पार्टी (कांशी राम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने अब्दुल्ला आजम से मुलाकात कर ली. आजम के बेटे अब्दुल्ला इस समय यूपी की हरदोई जेल में बंद हैं. चंद्रशेखर और अब्दुल्ला की मुलाकात से यूपी की सियासत तेज हो गई है.

कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव में प्रचार के बाद अखिलेश रामपुर पहुंचेंगे, जहां वो आजम खान के परिवार के साथ मुलाकात करेंगे. अखिलेश आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी में हेलीकॉप्टर से पहुंचेंगे. अखिलेश यादव आजम खान के जेल में जाने के बाद उनके परिवार से रामपुर पहली बार मिलने जा रहे हैं. मगर इससे पहले चंद्रशेखर आजाद ने आजम के बेटे अब्दुल्ला से हरदोई में मुलाकात कर ली.

अखिलेश-चंद्रशेखर को क्यों आई आजम परिवार की याद?

आजम परिवार से अखिलेश यादव और चंद्रशेखर की मुलाकात की सबसे बड़ी वजह है मुरादाबाद की कुंदरकी और मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट. कुंदरकी सीट पर आजम खान का अच्छा खासा दखल माना जाता है. कुंदरकी विधानसभा सीट पर 64 फीसदी मुलिम आबादी है. इस सीट पर पिछले 31 साल से बीजेपी को कभी जीत हासिल नहीं हुई है.

 

इस बार इस सीट पर मुकाबला कड़ा माना जा रहा है. इस बार यहां सपा से हाजी रिजवान, बीजेपी से ठाकुर रामवीर सिंह और बीएसपी से रफतुल्लाह मैदान में हैं. इसके अलावा चंद्रशेखर आजाद की पार्टी और AIMIM भी किस्मत आजमा रही है. चंद्रशेखर ने कुंदरकी से चांदबाबू को टिकट दिया है. कुंदरकी सीट सपा विधायक जिया-उर-रहमान बर्क के सांसद बनने की वजह से खाली हुई है.

 

वहीं, मीरापुर सीट पर भी कड़ी टक्कर मानी जा रही है. यहां चंद्रशेखर आदाज ने अपने प्रत्याशी को उतारकर सपा और अन्य दलों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. आरएलडी को छोड़कर सभी दलों से मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने यहां से बसपा के वरिष्ठ नेता मुनकाद अली की बेटी सुम्बुल राणा को टिकट दिया है. वहीं, आजाद समाज पार्टी ने जाहिद हुसैन को प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी ने मीरापुर सीट अपने गठबंधन सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के लिए छोड़ी है. आरएलडी ने यहां से पूर्व विधायक मिथिलेश पाल को मैदान में उतारा है. बसपा ने शाह नजर को प्रत्याशी बनाया है.

 

मीरापुर में 57 साल से नहीं जीता कोई स्थानीय नेता

 

मीरापुर में मुस्लिम, जाट और दलित वोटर जीत-हार तय करते रहे हैं. पिछले 57 साल से यहां कोई स्थानीय नेता चुनाव नहीं जीता है. मीरापुर में मुस्लिम वोटरों का तादाद ज्यादा हैं. 1 लाख 30 हजार के करीब यहां मुस्लिम वोटर हैं. वहीं, दलित वोटरों की संख्या पचार हजार के करीब है. 2022 के विधानसभा चुनाव में मीरापुर सीट पर आरएलडी के चंदन चौहान ने जीत दर्ज की थी इसलिए बीजेपी ने यह सीट आरएलडी को दे दी, लेकिन पिछली बार और इस बार में अंतर ये है कि पिछली बार आरएलडी का गठबंधन सपा के साथ था और इस बार बीजेपी के साथ है. चंदन चौहान के सांसद बनने के चलते यह सीट खाली हुई है इसलिए यहां उपचुनाव हो रहा है.

 

सपा ने कुंदरकी, मीरापुर, सीसामऊ और फूलपुर सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं. फुलपूर को छोड़कर बाकी की तीन सीटों पर सपा का पूरा दारोमदार मुस्लिम वोटों पर ही टिका हुआ है. यहां मुस्लिम वोटों के बंटवारे का खतरा बना हुआ है, जिसके चलते सपा की सियासी टेंशन बढ़ गई है. यही वजह है कि अखिलेश यादव ने आजम परिवार से मिलकर मुस्लिम वोटों को एकजुट रखने की कवायद में है. उधर, कुंदरकी और मीरापुर सीट पर चंद्रशेखर ने भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं इसलिए उन्होंने भी इस मुलाकात के बहाने मुस्लिम वोट साधने की जुगत में हैं.

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