दिल्ली:- कभी आसमान में अपनी धाक रखने वाली “जेट एयरवेज” अब शायद कभी दोबारा उड़ान नहीं भर पायेगी। सुप्रीम कोर्ट ने बंद पड़ी जेट एयरवेज से जुड़े मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने एयरलाइन को जालान कलरॉक कंसोर्टियम (JKC) को सौंपने के NCLAT के फैसले को खारिज कर दिया, वहीं अपनी असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुये एयरलाइन की परिसंपत्तियों को बेचने का आदेश दिया। कभी देश की सबसे बड़ी एयरलाइन रही नंबर वन जेट एयरवेज की फिर से उड़ान भरने की उम्मीद भी लगभग खत्म हो गई। इससे पहले NCLAT ने बंद हो चुकी एयरलाइन कंपनी की समाधान योजना को बीते 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को JKC को हस्तांतरित करने की मंजूरी दे दी थी। उसके बाद SBI, PNB और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने NCLAT के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था। इसी मामले की सुनवाई करते हुये अदालत ने दिवाला समाधान प्रक्रिया को खारिज करते हुये जेट एयरवेज की संपत्तियों को बेचने का आदेश दिया।
”जेट एयरवेज” के संस्थापक नरेश गोयल को बीते साल 2023 में ED ने अरेस्ट किया था। उनकी पत्नी अनिता गोयल को भी गिरफ्तार किया गया था। बीमारी के चलते उनका निधन हो चुका है। नरेश गोयल को केनरा बैंक की तरफ से जेट एयरवेज को दिये गये 538.62 करोड़ रुपये के ऋण में गड़बड़ी करने के इल्जाम में गिरफ्तार किया था। विशेष अदालत ने उसी रोज उनकी उम्र और चिकित्सीय स्थिति को देखते हुये उन्हें जमानत दे दी थी। वहीं, CBI ने बैंक की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बैंक ने इल्जाम लगाया है कि उसने जेट एयरवेज लि. (जेएएल) को 848.86 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था, जिसमें से 538.62 करोड़ रुपये अब भी बकाया हैं। इस खाते को 29 जुलाई 2021 को फ्रॉड घोषित कर दिया गया था। बैंक का आरोप था कि कंपनी के फोरेंसिक ऑडिट से पता चला कि उसने अपनी अन्य कंपनियों को 1410.41 करोड़ रुपये कमीशन के रूप में भुगतान किया और इस तरह जेट का पैसा बाहर भेजा गया। जेट ने अपनी सब्सिडियरी कंपनियों को कर्ज या अन्य निवेश के जरिये भी पैसे का भुगतान किया।
कर्ज के बढ़ते बोझ ने जमीन पर पटका –
मीडिया समूह के बड़े घराने अमर उजाला में छपी खबर के अनुसार, जेट एयरवेज ने साल 2006 में खस्ताहाल एयर सहारा को 50 करोड़ डॉलर नकद देकर खरीदा, जो बाद में डूब गई। इससे जेट एयरवेज को बड़ा झटका लगा। जेट एयरवेज स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टर्स को ढूंढने में भी नाकाम रही। इससे कंपनी का घाटा बढ़ता गया। इसी बीच भारतीय विमान बाजार में इंडिगो, स्पाइस जेट और गो एयर जैसी बजट एयरलाइंस की एंट्री हुई, जिन्होंने सस्ते टिकट देकर जेट एयरवेज के बाजार पर अपनी पकड़ बना ली।
संकट से घिरी जेट एयरवेज ने साल 2013 में अपने 24 प्रतिशत शेयर एतिहाद एयरलाइंस को बेच दिये। 2018 में घाटे से उबरने के लिए कंपनी ने अपने कर्मचारियों की सैलरी में 25 प्रतिशत की कटौती कर दी। वहीं, घरेलू उड़ान के दौरान यात्रियों को दिए जाने वाला मुफ्त खाना भी बंद कर दिया। कंपनी पर केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सिंडीकेट बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और इलाहाबाद बैंक सहित कुछ विदेशी बैंकों के 8,000 करोड़ का कर्ज चढ़ गया और लीज का किराया न चुकाने के चलते जेट एयरवेज आखिरकार 17 अप्रैल 2019 को ग्राउंडेड हो गई। उसके बाद कंपनी की दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू हुई जिसमें जेकेसी सबसे बड़ी बोलीकर्ता के रूप में सामने आई। इससे एक उम्मीद बढ़ी की जेट एयरवेज फिर उड़ान भरेगी, पर अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह सपना भी चकनाचूर हो गया है।
अर्श से फर्श पर पहुंचने की पूरी कहानी, जानें –
जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल ने 1967 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद ट्रैवल एजेंसी में काम करना शुरू किया। जहां वह एक लेबनान की एयरलाइंस का काम देखते थे। धीरे-धीरे नरेश गोयल इस बिजनेस के विशेषज्ञ बन गये और उसके बाद कई बड़ी एयरलाइंस में बड़े पदों पर काम किया। इसके बाद नरेश गोयल ने पत्नी अनिता गोयल के साथ मिलकर जेट एयर प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की लेकिन शुरू में कंपनी विदेशी एयरलाइंस की मार्केटिंग और सेल्स का जिम्मा संभालती थी। 5 मई 1993 को जेट एयरवेज ने दो विमानों बोइंग 737 और बोइंग 300 के साथ घरेलू उड़ान सेवाओं की शुरुआत की। धीरे-धीरे जेट एयरवेज देश की सबसे बड़ी निजी एयरलाइंस बन गई। एक समय कंपनी के पास कुल 120 विमान थे। एक समय जेट एयरवेज हर रोज 650 उड़ान भरती थी और उस समय नरेश गोयल की गिनती देश के 20 सबसे अमीर लोगों में होती थी।