आने वाले पांच सालों में यूपी में खत्म हो जाएगी डॉक्टरों की कमी,बनेंगे कई नए मेडिकल कॉलेज: सीएम योगी –

लखनऊ:- बेवजह की दवा नहीं लेनी चाहिए, अगर आप बीमारी के लिए दवा का इस्तेमाल करेंगे तो इलाज करेंगी,अगर बेवजह लेंगे तो दवा नुकसान करेंगी,फ्री दवा देना और लेना दोनों गलत है,इसकी लागत को समझना होगा,लोहिया संस्थान एक अस्पताल से आगे बढ़ कर यह एक सुपर स्पेशलिटी संस्थान बना है,उत्तर प्रदेश के अंदर बेहतरीन स्वास्थ्य केंद्र बनकर उभर रहा है,यह एक बड़ी उपलब्धि है,संस्थान का सही हाथों में होना जरूरी है,आप सभी के द्वारा बना यह संस्थान सभी के लिए महत्वपूर्ण है,अगर संस्थान गलत हाथों में चला गया तो उसमें सभी भागीदार होते हैं और सभी इससे प्रभावित होते हैं।यह बातें शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के चौथे स्थापना दिवस पर कहीं। इस दौरान सीएम ने विभाग के होनहार व मेधावियों को सम्मानित किया।
सीएम योगी ने कहा कि पांच वर्ष पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश इंसेफेलाइटिस से ग्रस्त था।वहां 15 जुलाई से 15 नवंबर के बीच 1200 से 1500 मौतें होती थीं,अकेले गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 500 से 700 मौतें होती थीं। सीएम ने कहा कि यह क्रम पिछले 40 वर्ष से चल रहा था। इस दौरान 50 हजार बच्चों की मौतें हुईं, लेकिन पिछली सरकारों का इससे कोई लेना-देना नहीं था। जब इसे रोकने के लिए सुविधा देनी होती थी तो वह भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाते थे।यह सिस्टम की नाकामी थी।मैंने सांसद रहते हुए सड़क से लेकर सदन तक मुद्दा उठाया,जिसके बाद काम शुरू हुआ।
सीएम ने कहा कि मेरे हाथ में कुछ समय पहले चोट लगी थी। एक विशेषज्ञ ने मेरे हाथ को देखा और कहा कि यह पट्टी अच्छी नहीं लगती।आप कहिए तो इसे मैं देखूं,मैंने उनसे कहा कि कितना खर्चा लगेगा तो उन्होंने कहा कि मैं बस आपके साथ एक सेल्फी लूंगा।फिर उन्होंने मेरा ट्रीटमेंट किया और मात्र आधे मिनट में मेरा हाथ ठीक हो गया। सीएम ने कहा कि कभी कभी हमें ट्रेडिशनल मेडिसिन पर भी विश्वास करना चाहिए।
सीएम योगी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंफेसेलाइटिस पर लगाम लगाने के लिए गोरखपुर को एम्स दिया।वहीं 2017 में मुख्यमंत्री बनने पर इसे खत्म करने की जिम्मेदारी मेरी हो गयी। इस पर काम शुरू किया गया और वर्ष 2019 में इस पर नियंत्रण पा लिया गया।उसी का परिणाम है कि आज पूर्वी उत्तर प्रदेश इंसेफेलाइटिस से मुक्त हुआ है,आज यहां पर मौत जीरो हो गयी हैं।यह दृढ़ संकल्प और आप सभी के सहयोग से हो पाया है, जबकि इसके खात्मे के बारे में पहले कोई सोच नहीं सकता था।सीएम ने वार्षिक रिपोर्ट का विमोचन और नवनिर्मित भवन का लोकार्पण किया। इस दौरान सीएम ने कई प्रोफेसर,असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रोफेसर जेआर को मेडल-सर्टिफिकेट प्रदान कर सम्मानित किया।
सीएम योगी ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस को लेकर इस बार भी दो बार सर्वे कराया गया,जिसमें सामने आया कि एक भी बच्चे की मौत नहीं हुई है।आज पूर्वी उत्तर प्रदेश खुशहाल है। सीएम ने कहा कि यह सब बेहतर समन्वय और संवाद से हो पाया। आज इंसेफेलाइटिस को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है,लेकिन अफसोस है कि अब तक इस पर कोई स्टडी पेपर नहीं लिखा गया,जबकि यह सफलता का मॉडल है। वहीं वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी आई तो टीम 11 का गठन कर काबू पाया गया। यह हमें इंसेफेलाइटिस के सफलतापूर्वक समाधान के बाद प्राप्त हुए अनुभव से संभव हुआ।कोविड-19 पर काबू पाने में इसी अनुभव का लाभ प्राप्त हुआ।
सीएम योगी ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश वन डिस्ट्रिक्ट वन मेडिकल कॉलेज की दिशा में तेजी के साथ बढ़ रहा है। पहली बार केंद्र और राज्य सरकार पीपीपी मोड पर भी मेडिकल कॉलेज बनाने की कार्रवाई को बढ़ा रही है। सीएम ने कहा कि आने वाले अगले 5 से 7 वर्ष में डॉक्टरों की कमी नहीं रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप हम एक जिला एक मेडिकल की कॉलेज की तरफ बढ़ चुके हैं। प्रदेश के सभी पीएचसी, सीएचसी को डॉक्टर मिलेंगे। इसके साथ ही आरएमएल, एसजीपीजीआई, केजीएमयू समेत अन्य संस्थानों को अच्छे विशेषज्ञ चिकित्सक मिलेंगे। इसके लिए हमें टीमवर्क के साथ काम करना होगा। आरएमएल उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत का गेटवे है। यह उपब्लधि ऐसे ही नहीं मिली है। इसके पीछे सकारात्मक सोच और टीमवर्क है।
सीएम योगी ने कहा कि ऋषि परंपरा में बीज का वृक्ष बन जाना संस्कृति कहलाता है,जबकि बीज का सड़कर नष्ट हो जाता विकृति कहलाता है।हमारी संस्कृति ही जीवन के विकास का आधार है। सीएम ने कहा कि ऋषि परंपरा के अनुरूप ही डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान अस्पताल से इंस्टीट्यूट बनकर सबके सामने है। संस्थान उत्तर भारत में चिकित्सा स्वास्थ्य का बेहतरीन केंद्र बनकर उभर रहा है। यह संस्थान की बड़ी उपलब्धि है। सीएम ने कहा कि अच्छे काम करने पर परिणाम भी अच्छे आते हैं। एक संस्थान बना देना समस्या का समाधान नहीं होता, यह किन हाथों में है, यह महत्वपूर्ण होता है।सीएम ने कहा कि लखनऊ उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ी सिटी है। यहां लगभग 70 लाख की आबादी निवास करती है।आरएमएल की पहचान पूर्वी उत्तर प्रदेश के गेटवे के रूप में होती है।
सीएम ने कहा कि यह अस्पताल से बढ़ करके 1300 बेड के बड़े संस्थान के रूप में विकसित हो करके सबके सामने है। सीएम ने कहा कि उत्तर प्रदेश अकेला ऐसा राज्य है, जहां 5 करोड़ 11 लाख से अधिक आयुष्मान भारत के गोल्डन कार्ड जारी किये जा चुके हैं। यूनियन कैबिनेट ने 70 वर्ष से ऊपर के हर एक व्यक्ति को आयुष्मान कार्ड का लाभ देने का निर्णय लिया है। सीएम ने कहा कि 5 वर्ष से 7 वर्ष पहले इसके बारे में कोई सोच नहीं सकता था।मुख्यमंत्री राहत कोष से बिना भेदभाव के इलाज के लिए पैसे दिये जा रहे हैं।
इस मौके पर उपमुख्यमंत्री व चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि आज बहुत खास दिन है।आज हम सभी लोहिया संस्थान का स्थापना दिवस मान रहे हैं।यह सच्चाई है कि केजीएमयू बहुत पूराना मेडिकल कॉलेज है।देशभर में केजीएमयू के डॉक्टर्स है।वहीं पीजीआई से बेहतर कोई नहीं है।विश्व स्तर पर पीजीआई ने पहचान बनाया है,जबकि लोहिया संस्थान ने बहुत कम समय में अपना अस्तित्व बनाया है।विश्व स्तर पर सबसे पहली प्राथमिकता पीजीआई की होती है और वहीं दूसरी प्राथमिकता लोहिया संस्थान की होती है। यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है।संस्थान में जगह की कमी है।अगर संस्थान के पास में और भी जगह उपलब्ध हो जाए तो यह संस्थान और तेजी से बढ़ेगा। इसके लिए मैंने चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव व मुख्यमंत्री से आग्रह किया है।
चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य परिवार कल्याण के राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने कहा कि संस्थान को 14 वर्ष हो गए हैं, लेकिन पिछले सात वर्षों में लोहिया संस्थान में बदलाव आया है।आज लोहिया संस्थान का चौथा स्थापना दिवस समारोह मनाया जा रहा है।केजीएमयू,लोहिया और पीजीआई विश्व स्तर पर आगे बढ़ रहे हैं,लगातार बदलाव देखा गया है,अनेक विभाग बनाए गए,बेड की समस्या को दूर किया गया है।
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि यहां सभी सुपर स्पेशलिटी विभाग है।जहां अलग-अलग शहर ही नहीं, बल्कि अलग-अलग राज्यों से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं। संस्थान नई तकनीक से अपडेट रहता है, यहां रिसर्च का काम विशेषज्ञ बहुत करते हैं,प्रदेश में 25 करोड़ की आबादी है।इस हिसाब से ऐसे में प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था बहुत सही है। प्रदेश सरकार 47 हजार करोड़ रुपये चिकित्सा व्यवस्था पर खर्च करती है।
लोहिया संस्थान के निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने कहा कि संस्थान लगातार प्रगति कर रहा है।शुरुआत में लोहिया 20 बेड़ का जिला अस्पताल था।बाद में धीरे-धीरे संस्थान का विकास हुआ और अब 1350 बेड़ का लोहिया संस्थान हैं,41 विभाग है,पिछले एक वर्ष में 30 ज्यादा पर्चा काउंटर है,फार्मेसी काउंटर है, 9 लाख लोगों का इलाज हुआ,6 हजार लोगों की एंजियोग्राफी एंजियोप्लास्टी की गई,12 हजार मरीजों को कीमाथैरेपी की गई, 200 अधिक नेफ्रोलॉजी और न्यूरोलॉजी सर्जरी की गई,ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में 50 हजार से ज्यादा ब्लड उपलब्ध कराया गया,दवाओं के लिए एचआरएफ सेंटर खोले गए, 400 नियमित नियुक्ति दी गई है, 400 अधिक ऑउटसोर्सिंग से नियुक्ति की गई। नर्सिंग एवं पैरामेडिकल में 40 से अधिक दाखिले लिए जाते हैं।