प्रयागराज
Trending

आजीवन कारावास की सजा काट रहे माफिया पीपी को जूना अखाड़े ने बनाया मठाधीश, उठा बवंडर

प्रयागराज :–   महाकुंभ से पहले माफिया पीपी को पंचदश नाम जूना अखाड़े का मठाधीश बनाने के मामले में संत समाज में हंगामा खड़ा हो गया है। अल्मोड़ा जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे माफिया डॉन प्रकाश पांडेय ‘पीपी’ को जूना अखाड़े ने नया नाम प्रकाशानंद गिरि दिया है।दो दिन पहले प्रकाशानंद को जेल में ही श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा का संत और मठाधीश बनाने का एलान किया गया। इसके बाद तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं आने लगीं। संत समाज में भी इसे लेकर आलोचना होने लगी। किरकिरी के बाद अखाड़ा प्रबंधन बैकफुट पर आ गया है। बतादें कि माफिया पीपी दाऊद इब्राहिम को मारने के लिए कराची तक पहुंच गया था।

जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक महंत हरि गिरि ने शनिवार को अमर उजाला से कहा कि इस मामले पर जांच बैठा दी गई है। उन्होंने कहा कि, हर किसी को जीवन में स्वेच्छा से सनातन की शरण में आने का अधिकार है, इसलिए सनातन की शरण में आए माफिया पीपी को अकेला छोड़ उससे किनारा नहीं किया जा सकता।

 

अल्मोड़ा जेल के अंदर जाकर दी थी दीक्षा –

मालूम हो कि माफिया को बीते बृहस्पतिवार को शिक्षक दिवस के मौके पर श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के थानापति राजेंद्र गिरि की अगुआई में 11 संतों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल तीन सदस्यों ने अल्मोड़ा जेल के भीतर जाकर दीक्षा दी। साथ ही पीपी को अंसेश्वर मठ, मुनस्यारी माता का मठ, गंगोलीहाट में लमकेश्वर, यमुनोत्री में भैरव और भद्रकाली मंदिर का उत्तराधिकारी यानी मठाधीश बनाए जाने की घोषणा की थी।

 

छोटा राजन का खास था प्रकाश पांडेय –

प्रकाश पांडे उर्फ पीपी उत्तराखंड के रानीखेत में स्थित खनौइया गांव का मूल निवासी है। उसका 1990 के दशक में कुमाऊं मंडल में अपराध के मामले में दबदबा था। उसका नाम नैनीताल, अल्मोड़ा, हल्द्वानी व रानीखेत में अवैध शराब, लीसा तस्करी में आया है। नब्बे के दशक में वह मुंबई पहुंचा। यही वह दौर था जब छोटा राजन ने दाऊद इब्राहिम से अलग होकर अपनी अलग गैंग बना ली थी। छोटा राजन को अपनी गैंग के लिए शूटरों की जरूरत थी। उसने मुंबई में कई आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया 2010 में वह वियतनाम से पकड़ा गया और तब से वह जेल में बंद है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page