अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार बुधवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव बंपर मतदान –

दिल्ली:- जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहा है।अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार बुधवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 7 जिलों की 24 विधानसभा सीटों पर बंपर मतदान हुआ।जिस जम्मू-कश्मीर में चुनाव का नाम सुनते ही लोग डर जाते थे,घरों से नहीं निकलते थे उसी जम्मू-कश्मीर में बुधवार सुबह से ही मतदाताओं की लंबी-लंबी कतारें लगी थीं।अनंतनाग हो या डोडा,किश्तवाड़ हो या शोपियां हर जगह मतदाताओं को भारी संख्या देखने को मिली।सुबह से ही भारी संख्या में मतदाता मतदान करने पहुंचे थे।
जो अनंतनाग पहले बंदूकों के साये में रहता था उसी अनंतनाग में मतदान हुआ।अनंतनाग के मतदाताओं के लिए विकास बड़ा मुद्दा हैं।अनुच्छेद 370 भी राजनीतिक मुद्दा है।शोपियां में सुबह से ही मतदाताओं की लंबी-लंबी कतारें लगी थीं।शोपियां जिले में विधानसभा की दो सीटों पर मतदान हुआ।
जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं को 10 साल से इस दिन का इंतजार था।कश्मीर घाटी में बुधवार को जो 16 सीटों पर मतदान हुआ उसमें भारी संख्या में हिंदू मतदाता थे,जो कश्मीर घाटी को छोड़कर जम्मू के जगती इलाके में जाकर बस गए थे।इनके लिए विशेष प्रावधान किया गया था। चुनाव आयोग ने कश्मीरी प्रवासियों के लिए स्पेशल पोलिंग बूथ बनाए थे,जहां भारी संख्या में कश्मीरी प्रवासियों ने मतदान किया।
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के पहले चरण में मतदाताओं में खासा उत्साह दिखा।किश्तवाड़ में में सबसे ज्यादा मतदान हुआ है।कश्मीरी हिंदुओं ने भी मतदान किया।श्रीनगर की हब्बा कदल सीट,जहां दूसरे चरण में मतदान होना है और ये कभी कश्मीरी पंडितों का गढ़ हुआऊ करता था,लेकिन 1990 के बाद से यहां की तस्वीर कुछ बदल सी गई है।
झेलम नदी के किनारे बसा श्रीनगर का डाउन टाउन एरिया हब्बा कदल के नाम से जाना जाता है। 2019 से पहले ये पत्थरबाजी और हिंसा का एपिक सेंटर हुआ करता था,लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद अब यहां शांति है। 25 सितंबर को दूसरे चरण में यहां मतदान होगा। यहां से 16 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।
आतंकवादियों,अलगाववादियों और पत्थरबाजों के गढ़ के तौर पर कुख्यात शोपियां में भी बुलेट पर बैलट भारी पड़ा है।शोपियां टाउन में अक्सर ही चुनाव का बहिष्कार करने की आवाज सुनाई देती रहती है।यूनाइटेड नेशन से लेकर हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के लोगों को बंधक बनाकर कैद में रखने का रोना बीते पांच सालों से रो रहा है।घाटी में बंपर मतदान ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि लोग लोकतंंत्र के साथ हैं ना कि पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के।
विधानसभा चुनाव के पहले चरण के चुनाव में लगभग 59 फीसदी मतदान हुआ जो पिछले सात चुनावों में सर्वाधिक मतदान है। किश्तवाड़ में सबसे अधिक 77.23फीसदी और पुलवामा में सबसे कम 46.03 फीसदी मतदान हुआ।दूसरे नंबर पर डोडा 69.33फीसदी और तीसरे नंबर पर रामबन में 67.71फीसदी मतदान हुआ।